त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में लेफ्ट का किला ध्वस्त करने के बाद राज्य में बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष रहे बिप्लब देब अब राज्य के नए मुख्यमंत्री होंगे. वहीं जिष्णु देव वर्मा उपमुख्यमंत्री.
25 साल की वामपंथी सरकार को भले ही चुनाव में बीजेपी ने कड़ी शिकस्त दी हो, लेकिन नई सरकार के सामने पांच मुद्दे ऐसे होंगे जिनसे निपटना चुनौतियों भरा होगा. आइए जानते हैं वो पांच चुनौतियां…
1. भले ही त्रिपुरा साक्षरता के मामले में आगे हो, लेकिन यहां बेरोजगारी हटाना सभी सरकारों के लिए चुनौती भरा रहा है. ज्ञात हो कि अपने चुनावी मेनिफेस्टो में बीजेपी ने हर युवा को रोजगार देने का वादा किया है. ऐसे में इस वादे को पूरा करना बड़ी चुनौती है.
2. प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर होने के बावजूद त्रिपुरा में उद्योग व कारखानों का अभाव रहा है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने त्रिपुरा में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने की बात कही थी. इस तरह जमीन अधिग्रहण और नए उद्योग स्थापित करना बीजेपी के लिए चुनौती होगी.
3. बेरोजगारी, उद्योग और शिक्षा के अलावा त्रिपुरा में स्वास्थ्य सुविधा देना बड़ी चुनौती रही है. बीजेपी ने एम्स की तर्ज पर एक अस्पताल के अलावा कई मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पताल खोलने और राज्य के स्वास्थ्य ढांचे की तस्वीर सुधारने का वादा किया था.
4. त्रिपुरा में बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ और तस्करी रोकना सरकार के लिए गंभीर मुद्दा रहेगा. क्योंकि बीते कुछ वर्षों में घुसपैठ राज्य में बढ़ी है, जिससे कई दफा हिंसक घटनाएं भी हुई. सरकार को इसे रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के साथ मिलकर कड़े नियम-कानून बनाने होंगे.
5. इसके साथ ही राज्य में विभिन्न आदिवासी संगठनों की ओर से उठने वाली अलग राज्य की मांग से भी निपटना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती रहेगा. आपको बता दें कि नॉर्थ ईस्ट के कई राज्यों में आदिवासी संगठनों ने अलग राज्य की मांग कर रखी है.
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