भगवान बुद्धा ने अपनी अहिंसात्मक विचारधारा से पूरी दुनिया में बुद्ध भिक्षुओं का ऐसा समूह खड़ा किया जो सालों से हिंसा से दूर रहकर अपने धर्म के लिए काम करते रहे है. विश्व के विभिन्न देशों में स्थित बुद्ध धर्म के अनुयायी वैसे तो हमेशा अपने अहिंसात्मक रवैये के लिए जाने जाते है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में ऐसा क्या हुआ, जिससे श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड जैसे देशों में बौद्ध भिक्षुओं ने अब हथियार उठा लिए है, और हिंसा के रास्ते पर चलने लगे है.
बात करते है श्रीलंका के कैंडी शहर की यहां पर एक बौद्ध युवक की मुस्लिम द्वारा हत्या किए जाने के बाद हालत बेकाबू हो चले है. बुद्ध धर्म के लोगों ने बदले की भावना के चलते मुस्लिमों पर हमला किया है, कई मुस्लिमों के व्यापार और सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, साथ ही परिस्तिथियों के कारण श्रीलंका में आपातकाल लागू करना पड़ा. बता दें, श्रीलंका में 76% आबादी सिंहली बौद्धों की है साथ ही श्रीलंका में मुसलमान भी बड़ी तादात में मौजूद है,मुस्लिम श्रीलंका के इतिहास में काफी शांतिप्रिय माने जाते है.
ऐसे ही हालात म्यांमार के भी है. म्यांमार में बुद्ध धर्म के लोग ज्यादा मात्रा में है, वहीं रोहिंग्या मुस्लिम अल्पसंख्यक में आते है. पिछले 25 वर्षों में म्यांमार में बुद्ध-रोहिंग्या हिंसा चल रही है. कहा जाता है हिंसा के चलते कई मुस्लिम म्यांमार से पलायन कर दूसरे देशों में रहने के लिए मजबूर है, साथ ही कई रोहिंग्या इस हिंसा में अपनी जान गवा चुके है. बता दें, म्यांमार में आसिन विरातु नाम के एक बौद्ध भिक्षु ने 696 नाम का चरमपंथी संगठन बना रखा है, इसे नाजी भी कहा जाता है. विरातु खुद को म्यांमार का ओसामा बिन लादेन बताता है. देश में हिंसा फैलाने के मामले में सबसे बड़ा हाथ विरातु का है. हालाँकि 2003 में विरातु को जेल भेजा गया था लेकिन 2012 में रिहाई के बाद फिर से विरातु हिंसा फैलाने का काम लगातार कर रहे है.