बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में शिक्षकों की नौकरी केलिए अब तगड़ी प्रतिस्पर्धा होगी। प्रदेश सरकार ने भर्ती देश भर के युवाओं के लिए खोलने का फैसला किया है। एनसीटीई डिग्री धारक किसी भी राज्य के हों, वे आवेदन कर सकेंगे। सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को मंगलवार को मंजूरी दे दी।
सरकार के प्रवक्ता व स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट ने एक निर्णय में शिक्षकों की भर्ती में देश भर के पात्र युवाओं को मौका देने का निर्देश दिया था। कैबिनेट ने हाईकोर्ट के फैसले के मद्देनजर यूपी बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली-1981 में 21वें संशोधन को मंजूरी दे दी है।
वर्तमान में प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक भर्ती के लिए सिर्फ प्रदेश के डिग्रीधारक युवा ही आवेदन कर सकते हैं। लेकिन अब एनसीटीई की डिग्री मान्य कर दी गई है। इससे अब देश भर के एनसीटीई डिग्री धारक युवा प्रदेश की शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जब जीएसटी से एक देश एक कर हो सकता है तो पात्रता रखने पर देश का नागरिक कहीं भी आवेदन कर सकता है। इससे जिले के लोगों को प्राथमिकता की व्यवस्था भी खत्म हो गई है।
ये होगा इस फैसले का असर
वर्तमान में दूसरे राज्यों से बीटीसी, बीएलएड जैसी डिग्री लेने वाले प्रदेश की शिक्षक भर्ती के लिए पात्र नहीं माने जाते हैं, भले ही वे यूपी के ही क्यों न हों। ऐसे अभ्यर्थी एनसीटीई को नियामक संस्था होने का हवाला देते हुए देश में कहीं से भी हासिल की गई डिग्री को प्रदेश की भर्तियों में मान्यता देने की मांग कर रहे थे।
प्रदेश सरकार ने इससे भी आगे जाकर देश भर से एनसीटीई से मान्य डिग्री रखने वालों को यूपी की शिक्षक भर्ती में शामिल होने को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा वर्तमान में जो जिस जिले से बीटीसी करता है, उसे उस जिले में चयन में वरीयता मिलती है। अब यह व्यवस्था भी खत्म हो गई।
इस तरह बदलती रही प्रक्रिया
बेसिक शिक्षा में शिक्षकों का पद जिले का काडर है। पहले बीटीसी डिग्रीधारक जिले के निवासी ही पात्रता रखते थे। बाद में सपा और बसपा शासनकाल में ये काडर होने के बावजूद प्रदेश भर के युवाओं को किसी भी जिले में आवेदन की व्यवस्था कर दी गई। पूर्व सरकारों की इस नीति का असर ये हुआ कि शिक्षक भर्ती के साथ ही अंतर्जनपदीय तबादले की व्यवस्था का दबाव हो गया।
नतीजा ये हुआ कि भर्तियां होती रहती हैं और तय समय बीतते ही मूल जिलों में शिक्षकों की वापसी की वजह से कई जिलों में शिक्षकों की कमी हो जाती है। योगी सरकार ने इससे भी आगे जाकर देश भर के युवाओं को बेसिक शिक्षक भर्ती में शामिल होने का अवसर दे दिया है। इससे स्थानीय युवाओं को तगड़ा झटका लगेगा।
इन्वेस्टर्स समिट से पहले निवेशकों को बड़ी सहूलियतों की सौगात
प्रदेश कैबिनेट ने इन्वेस्टर्स समिट से पहले उद्यमियों की जमीन व्यवस्था में आने वाली मुश्किलें आसान करने से जुड़े प्रस्तावों पर सहमति दे दी है। साथ ही अविवाहित लड़कियों को लड़कों के बराबर संपत्ति में हक देने पर भी सहमति जताई है। इसके लिए राजस्व संहिता विधेयक-2018 के मसौदे को मंजूरी दी गई है।
राजस्व परिषद के चेयरमैन प्रवीर कुमार ने बताया कि औद्योगिक निवेश के लिए जमीन आसानी से उपलबध हो, इसके लिए राजस्व संहिता संशोधन विधेयक-2018 के मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। संहिता में सीलिंग से जुड़े प्रावधानों को सरल बनाया गया है। उन्होंने विधानमंडल सत्र का हवाला देते हुए विधेयक के प्रावधानों की जानकारी नहीं दी।
हालांकि सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में इंडस्ट्री के लिए यदि सीलिंग सीमा (12.5 एकड़) से अधिक जमीन की जरूरत होती है तो कुछ मामलों में मंडलायुक्त व बाकी में शासन स्तर से मंजूरी लेनी होती है। विधेयक में नई व्यवस्था का प्रावधान करते हुए 50 एकड़ तक जमीन खरीदने की मंजूरी डीएम स्तर से देने और 50 एकड़ से अधिक लेकिन 100 एकड़ तक मंडलायुक्त और 100 एकड़ से अधिक जमीन की जरूरत पर ही शासन से मंजूरी लेनी होगी।
एक्सप्रेस-वे, फ्रेट कॉरीडोर के काम में आएगी तेजी
वर्तमान में धारा-77 के तहत किसी विकास से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत की जाने वाली जमीन के बीच यदि सार्वजनिक जमीन (खलिहान, चरागाह) आती है तो उसे अधिग्रहीत तो किया जा सकता है, पर उसी ग्राम में उतनी जमीन संबंधित उपयोग के लिए सुरक्षित करनी होती है। कई ग्रामों में बदले के लिए जरूरी जमीन उपलब्ध न होने से विकास कार्य अटक रहे थे।
राजस्व संहिता में प्रावधान किया जा रहा है कि यदि अधिग्रहीत जमीन से संबंधित ग्राम में बदले के लिए भूमि नहीं है तो पड़ोस के गांव में जमीन लेकर उसे सुरक्षित किया जा सकेगा। इससे पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे, डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे परियोजना जैसी सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए जमीन के पुनर्ग्रहण व विनिमय में सहजता आएगी।
भू-उपयोग बदलना होगा आसान, कारोबार में आएगी तेजी
किसानों को कृषि भूमि पर गैर कृषि कार्य पर कोई रोक नहीं है। लेकिन अगर किसान किसी प्रोजेक्ट के लिए ऋण लेना चाहते हैं तो बैंक धारा-80 (भू उपयोग परिवर्तन की पुरानी धारा-143 के स्थान पर) का प्रमाणपत्र चाहते हैं। इससे लोगों को बैंकों से कर्ज नहीं मिलता। अब भू-उपयोग बदलाव की टेंटेटिव अनुमति दी जा सकेगी। अगर पांच वर्ष में भू-उपयोग बदल लिया जाता है तो वह अनुमति मान्य रहेगी। भू-उपयोग न बदलने पर अनुमति शून्य हो जाएगी और जमीन कृषि उपयोग में स्वत: बदल जाएगी। इससे कृषि भूमि के औद्योगिक, वाणिज्यिक व आवासीय उपयोग के लिए भू-उपयोग परिवर्तन आसान होगा।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को भी हरी झंडी
वर्तमान में व्यवस्था है कि कोई भूमिधर अपनी जमीन को पट्टे पर नहीं देगा। मंदबुद्धि, सैनिक की पत्नी या पति, 35 वर्ष से कम उम्र का ऐसा व्यक्ति जो पढ़ाई कर रहा है तथा तलाकशुदा महिला विशेष परिस्थिति के दायरे में आने वाले तीन वर्ष तक पट्टा दे सकते हैं। सरकार ने राजस्व संहिता की धारा-94 व 95 में संशोधन का प्रस्ताव किया है। इसके तहत अब कोई भी भूमिधर कॉन्ट्रैक्ट पर अपनी जमीन दे सकेगा। इससे बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में खेती में उपयोग न हो रही जमीन सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए पट्टे पर भूमि उपलब्ध हो सकेगी। किसानों की जहां इससे आय प्राप्त होगी, वहीं बिजली परियोजनाओं में वृद्धि हो सकेगी।
संपत्ति में मृतक पुत्र की अविवाहित पुत्रियों को पुत्र के बराबर मिलेगा हक
योगी सरकार ने अविवाहित लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार देने के लिए राजस्व संहिता में नए संशोधन प्रस्तावित किए हैं। राजस्व संहिता की धारा 108 व 109 में संपत्ति के हस्तांतरण का क्रम दर्ज है। वर्तमान में भूमिधर के पुत्र के साथ के साथ पुत्री को संपत्ति में हक मिलता है, लेकिन अगर पुत्र को संपत्ति हस्तांतरित होनी है तो उसके साथ अविवाहित पुत्री को हक नहीं मिलता है।
इसी तरह यदि मृत व्यक्ति के भाई के पुत्र को संपत्ति स्थानांतरित होती है तो उसकी अविवाहित पुत्री संपत्ति में हिस्सा नहीं पाती है। प्रस्तावित संशोधन में अविवाहित लड़कियों को हर स्तर पर लड़कों के साथ हिस्सेदारी होगी। इसके लिए दोनों धाराओं में सभी स्थानों पर लड़कों के साथ अविवाहित लड़की जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।
कीटनाशकों के उपयोग पर मिलेगा अनुदान
कैबिनेट ने कीट रोग नियंत्रण योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सरकार फसल को कीड़े-मकोड़ों से बचाने के लिए कीटनाशकों के उपयोग पर अनुदान देगी। इससे फसल का नुकसान कम करने और उनकी आय बढ़ाने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि कीड़ों से फसलों को 15 से 25 प्रतिशत तक नुकसान होता है।
सरकार किसानों को कीटनाशकों के प्रयोग से इस नुकसान को कम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए पांच वर्ष की योजना को मंजूरी दी गई है। इसके अंतर्गत बॉयोपेस्टीसाइड व बीज शोधक रसायन के उपयोग पर खर्च का 75 प्रतिशत अनुदान सरकार देगी। लघु व सीमांत किसानों को कृषि रक्षा रसायनों, कृषि रक्षा यंत्रों व बखारी पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा। मंत्री ने बताया कि योजना पर पांच वर्ष में 155.90 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
मनोरंजन कर विभाग के कर्मी वाणिज्यकर विभाग में शामिल
प्रदेश कैबिनेट ने मनोरंजन कर विभाग के कर्मचारियों को वाणिज्यकर विभाग में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि एक जुलाई 2017 से प्रदेश में यूपी माल एवं सेवा कर अधिनियम लागू होने से मनोरंजन कर, माल एवं सेवा कर में शामिल हो गया है। इसकी वजह से मनोरंजन कर विभाग की उपयोगिता खत्म हो गई है।
अब इस विभाग के कार्मिकों को यूपी माल एवं सेवा कर अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत वाणिज्य कर विभाग में नियुक्त/शामिल करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि मनोरंजन कर में 654 पद सृजित हैं लेकिन वर्तमान में 377 अधिकारी व कर्मचारी कार्यरत हैं। सभी कर्मी वाणिज्यकर विभाग में आ गए हैं।
स्वेटर वितरण के लिए जारी बजट को मिली स्वीकृति
मुख्यमंत्री की घोषणा के मुताबिक प्रदेश के सभी प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों को निशुल्क स्वेटर उपलब्ध कराने के लिए जारी बजट को कैबिनेट ने कार्येत्तर स्वीकृति दे दी है। योजना के तहत अब तक 98 लाख स्वेटर बंट चुके हैं। इसके लिए सरकार ने अनुपूरक बजट में 390 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया था।
दरअसल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों के (1 से 8वीं कक्षा) छात्रों को निशुल्क स्वेटर बांटने की घोषणा की थी। इसके तहत 6 जनवरी से स्वेटर वितरण का काम शुरू भी कर दिया गया था। इस योजना के तहत प्रत्येक छात्र को दो सौ रुपये की लागत में एक स्वेटर दिया जाना था। इसके लिए जारी 1 अरब 54 करोड़ 23 लाख के बजट को कार्येत्तर स्वीकृति देने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया था, जिसे मंजूरी दी गई है।
बैकयार्ड पोल्ट्री प्रोग्राम में वर्ष 2011 की सूची से चुने जाएंगे लाभार्थी
रूरल बैकयार्ड पोल्ट्री डवलपमेंट प्रोग्राम में बीपीएल लाभार्थियों का चयन आर्थिक-सामाजिक-जातिगत जनगणना-2011 की सूची के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए कैबिनेट ने संशोधन के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी। इतना ही नहीं भविष्य में गाइड लाइंस में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत भी कर दिया। इस योजना में एक मदर यूनिट से 300 बीपीएल लाभार्थी संबद्ध किए जाने का प्रावधान है। लेकिन लाभार्थियों का चयन वर्ष 2002 की बीपीएल सूची के आधार पर किया जा रहा था। इससे पर्याप्त लाभार्थी नहीं मिल पा रहे थे।
खादी एवं ग्रामोद्योग विकास तथा सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति मंजूर
राज्य सरकार खादी एवं ग्रामोद्योग के जरिये ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर मुहैया कराएगी। साथ ही खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों की स्थापना की प्रक्रिया सरल की जाएगी और कई तरह की सहूलियतें भी दी जाएंगी। इसके लिए कैबिनेट ने खादी एवं ग्रामोद्योग विकास तथा सतत स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दे दी है।
इस नीति के दायरे में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना को भी रखा गया है। सरकार का दावा है कि ग्रामोद्योगों के माध्यम से कुशल व अकुशल श्रमिकों के लिए प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। केवल ग्रामोद्योगों के विकास के लिए बनाई गई यह पहली नीति है। नीति के तहत औद्योगिक क्षेत्रों में खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों की स्थापना के लिए प्राथमिकता के आधार पर भूमि का आवंटन किया जाएगा। ग्राम सभा की खाली जमीन का आवंटन भी ग्रामोद्योग के लिए किया जाएगा।
लखनऊ व गोरखपुर की गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला का उच्चीकरण होगा तथा पश्चिमांचल में एक नई प्रयोगशाला बनेगी। खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों की ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए उद्यमिता मोड पर पोर्टल बनाकर ई-मार्केटिंग की जाएगी। खादी-ग्रामोद्योग इकाइयों की स्थापना पर पूर्वांचल, मध्यांचल व बुंदेलखंड में स्टांप शुल्क पर 100 प्रतिशत तथा पश्चिमांचल में 75 फीसदी की छूट दी जाएगी।
इसके साथ ही जीएसटी के तहत राज्य के अंश की सीमा तक जमा कराई गई राशि के बराबर रकम की प्रतिपूर्ति की जाएगी। यह सुविधा पांच करोड़ रुपये तक के टर्नओवर पर मिलेगी। नीति के तहत पं. दीन दयाल उपाध्याय रोजगार योजना का संचालन भी किया जाएगा। नीति के तहत ग्रामोद्योग समाधान सेल व मेक इन इंडिया की तर्ज पर खादी-यूपी प्रकोष्ठ की स्थापना होगी।
आबकारी विभाग में होलोग्राम के स्थान पर ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली होगी लागू
सरकार ने आबकारी विभाग में पोंटी चड्ढा और अशोक चतुर्वेदी का वर्चस्व खत्म कर दिया है। पहले आबकारी नीति के जरिए चड्ढा ग्रुप और अब शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम की व्यवस्था को खत्म कर अशोक चतुर्वेदी को झटका दिया है। कैबिनेट की बैठक में मंगलवार को शराब की बोतलों पर लगने वाले होलोग्राम की व्यवस्था को खत्म कर उसके स्थान पर ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली लागू करने का फैसला किया है। नई व्यवस्था के तहत होलोग्राम के स्थान पर शराब उत्पादन एवं निकासी की व्यवस्था को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली से नियंत्रित किया जाएगा। ऐसे में होलोग्राम व्यवस्था को निरस्त करने और सप्लायर की जमानत राशि वापस करने का भी निर्णय लिया गया है। ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम प्रणाली का सॉफ्टवेयर एनआईसी यूपी विकसित करेगा।
4 से 15 हजार हुई पूर्व सैनिकों की पेंशन
प्रदेश सरकार ने भी 55 साल की आयु पूरी करने से पूर्व रिटायर होने के बाद राज्य सरकार के अधीन विभागों में नौकरी कर रहे सैनिकों की पेंशन राशि को 4 हजार से बढ़ाकर 15 हजार करने का फैसला किया है। इससे संबंधित प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। सरकार ने बढ़े हुए पेंशन को एक जनवरी-2016 से लागू करने का फैसला किया है।
दरअसल केन्द्र सरकार ने भी सेना में कमीशन रैंक के अधिकारी पद से रिटायर होने के बाद सिविल पदों पर नौकरी करने वाले पूर्व सैनिकों की पेंशन राशि 4 से बढ़ाकर 15 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया है। इसी व्यवस्था को प्रदेश सरकार ने लागू कर दिया है। इससे पहले भी इस श्रेणी के पूर्व सैनिकों को मात्र 1500 रुपये ही पेंशन मिलता था, जिसे एक जनवरी-2006 में बढ़ाकर 4000 हजार किया गया था। अब केन्द्र सरकार की तरह राज्य सरकार ने पेंशन राशि को बढ़ाने के प्रस्ताव को लागू कर दिया है।