नमस्कार के इन तरीकों से मिलता है समाज में मान सम्मान
नमस्कार के इन तरीकों से मिलता है समाज में मान सम्मान

नमस्कार के इन तरीकों से मिलता है समाज में मान सम्मान

हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है जिसकी वजह से भारतीय संस्कृति देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है. और इसी संस्कृति का एक हिस्सा है नमस्कार या नमस्ते जो हम किसी व्यक्ति से मिलने पर अपने दोनों हांथों को जोड़कर करते है. भारत में अलग-अलग नमस्कार किया जाता है जैसे कुछ लोग राम-राम, जय श्रीराम, नमस्ते, नमस्कार, जय माता दी, राधे-राधे आदि शदों के द्वारा दूसरे व्यक्ति को मिलते समय या विदा होते समय करते है. क्या आप नमस्कार की उत्पत्ति व नमस्कार करने के महत्व और तरीकों से अवगत है आइये विस्तार से जानते है.नमस्कार के इन तरीकों से मिलता है समाज में मान सम्मान

नमस्कार की उत्पत्ति – नमस्कार शब्द कि उत्पत्ति संस्कृत के नमस शब्द से हुई है जिसका अर्थ एक आत्मा का दूसरी आत्मा से आभार व्यक्त करना होता है.

नमस्कार की सही मुद्रा – जब हम किसी को नमस्कार करते है तो हमारे दोनों हांथ आपस में जुड़े होने चाहिए तथा इन्हें अपने सीने के बीच में रखकर अपनी पीठ को थोड़ा आगे की ओर झुकाकर व अपने हांथो को आसमान की तरफ करके नमस्कार शब्द का उच्चारण किया जाता है. यदि आप इस मुद्रा में किसी के सामने खड़े होते है तो वह इसका अर्थ स्वयं समझ जाता है.

नमस्कार के तीन प्रकार होते है:-

1. सामान्य नमस्कार – इस प्रकार का नमस्कार उस व्यक्ति से किया जाता है जिससे हम प्रतिदिन मिलते है. जो अपने दोनों हांथो को जोड़कर किया जाता है.

2. पद नमस्कार – यह नमस्कार पैर छूकर किया जाता है जिसे हम अपने माता-पिता या किसी बड़े बुजुर्ग से मिलने पर करते है.

3. साष्टांग नमस्कार – इस प्रकार का नमस्कार जमीन पर पूरा लेटकर किया जाता है जिसे व्यक्ति मंदिर जाने पर भगवान् के समक्ष करता है.  

नमस्कार करने के लाभ – यदि आप सच्चे मन से आदर के साथ किसी को नमस्कार करते है तो इससे आपका मन पवित्र होता है और आपके अन्दर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. आपके नमस्कार करने के तरीके से सामने वाला पर व्यक्ति आपके मन के अच्छे भावों का प्रभाव पड़ता है जिससे आपको सामाजिक लाभ होता है.

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