लखनऊ। कासगंज साप्रदायिक हिंसा पर शासन ने रिपोर्ट तलब कर ली है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस मुख्यालय से आइजी डीके ठाकुर को वहां भेजा गया है। डीजीपी ने घटना की गंभीरता को देखते स्थानीय स्तर पर एसआइटी गठित कर उसे पूरे मामले की जांच सौंपी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अब तक 49 व्यक्ति वहां गिरफ्तार किए गए हैं। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने आज कासगंज उपद्रव की जानकारी ली। डीजीपी ओपी सिंह के लिए यह पहली बड़ी चुनौती है। उन्होंने घटना की रिपोर्ट मांगी की। ओपी सिंह ने डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध आइजी डीके ठाकुर को कासगंज भेजा है। पुलिस के अनुसार कासगंज में बड़ी संख्या में आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। लगातार दबिश जारी है।
दोबारा हालात बिगडऩे से उठे सवाल
डीजीपी ने एसएसपी कासगंज सुनील कुमार सिंह को उपद्रवियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए हैं। हालांकि शुक्रवार को हुई हिंसा के शनिवार को दोबारा हालात बिगडऩे से पुलिस-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल भी उठ रहे हैं। आखिर किस स्तर पर चूक हुई, जिससे दोबारा हिंसा भड़की।
डीजीपी का कहना है कि कासगंज में पुलिस बल के अलावा सात कंपनी पीएसी व दो कंपनी आरएएफ तैनात है। एडीजी आगरा अजय आनंद व आइजी रेंज अलीगढ़ संजीव गुप्ता भी कासगंज में कैंप कर रहे हैं। कासगंज कोतवाली प्रभारी व स्थानीय निवासी सुशील कुमार की ओर से बलवा, हत्या, जानलेवा हमला सहित अन्य धाराओं में दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया कि अब कासगंज में स्थिति नियंत्रण में है। पुलिस कस्बे में लगातार गश्त कर रही है। कई टीमें बनाकर अन्य आरोपितों की गिरफ्तार का प्रयास किया जा रहा है।
आखिर क्या हुआ था
दरअसल गणतंत्र दिवस पर कासगंज में वंदे मातरम का विरोध करते हुए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जाने के बाद पथराव और फायरिंग में एक युवक की मौत और दो घायल होने से बवाल बढ़ा। कई पुलिसकर्मी जख्मी हुए। इसके बाद सांप्रदायिक हिंसा की आग ने पूरे कासगंज को अपनी चपेट में ले लिया। आज सुबह मृत युवक की अंत्येष्टि के बाद हालात फिर बिगड़ गए। आगजनी, तोड़फोड़, लूटपाट से अलग-अलग हिस्से आक्रांत रहे। गिरफ्तारियां, भारी फोर्स की तैनाती, कर्फ्य जैसा माहौल, फ्लैगमार्च जैसे तमाम उपायों के बावजूद दूसरे दिन भी हालात काबू में नहीं आ सके।