लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 से भी अच्छा प्रदर्शन दोहराने के प्रयास में है। इसको लेकर पार्टी काफी गहन मंथन पर रही है और उत्तर प्रदेश में भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में सूबे की 80 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है।भारतीय जनता पार्टी के इस अभियान को लेकर सबसे बड़ी चुनौती अपने ही सांसद बन गए हैं। क्षेत्र में उनकी छवि ठीक नहीं है और कार्यकर्ताओं का असंतोष चरम पर है। पार्टी की कसौटी पर दो दर्जन से ज्यादा सांसद खरे नहीं उतर रहे हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में इनका टिकट कट सकता है।

सीतापुर के महोली में तहसील परिसर में हाल में कंबल वितरण कार्यक्रम के दौरान धौरहरा की सांसद रेखा वर्मा एवं महोली के विधायक शशांक त्रिवेदी के बीच हुए बवाल ने नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी। यह केवल एक घटना ही नहीं बल्कि अनुशासित पार्टी के लिए बड़ी चुनौती भी है। दरअसल, क्षेत्र में सांसदों की छवि को लेकर नेतृत्व तक ठीक इनपुट नहीं पहुंच रहे हैं। नेतृत्व की चिंता इस बात से भी बढ़ गई है कि सांसदों को जो भी कार्यक्रम और लक्ष्य सौंपे गये उसमें कई सांसदों ने पूरी तरह निष्क्रियता दिखाई।
विधानसभा चुनाव में बेहतर रिजल्ट आने की वजह से सांसदों की कमी छिप गई, लेकिन निकाय चुनाव और अन्य कार्यक्रमों ने उनकी भूमिका उजागर की है। निकाय चुनाव में खराब परिणाम वाले कई क्षेत्रों के ऐसे सांसद भी चिह्नित किये जा रहे हैं जिनका कार्य और व्यवहार दोनों ठीक नहीं है। भाजपा अध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने कार्यकर्ताओं से मिली शिकायत के आधार पर दो दर्जन से ज्यादा ऐसे सांसदों की सूची तैयार की है जिनकी जनता के बीच नकारात्मक छवि बनी हुई है। पश्चिम से लेकर पूर्वी उत्तर प्रदेश तक ऐसे सांसदों के बारे में अमित शाह से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी तक अवगत हो चुके हैं।
मंत्री व विधायकों को मौका देने की तैयारी
भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लिए उप्र की 80 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए वह जनता के बीच लोकप्रिय और प्रभावी लोगों को मौका देने की तैयारी कर रही है। भाजपा अपने कई विधायकों को इसके लिए संकेत दे चुकी है कि वह क्षेत्र में मेहनत करें। पार्टी में इस बात का भी मंथन चल रहा है कि जिस बिरादरी के सांसद का टिकट कटेगा, उसी बिरादरी को मौका दिया जाएगा। अगर संबंधित जाति की बात पक्की नहीं हो सकी तो अगड़ों की जगह अगड़ा और पिछड़ों में पिछड़ी जाति को ही मौका देंगे। प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री भी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाये जा सकते हैं।
पीएम मोदी पहले ही जता चुके नाराजगी
पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसदों की बैठक में मोदी और अमित शाह नाराजगी जता चुके हैं। सांसदों को केंद्र और प्रदेश की योजनाओं के प्रचार प्रसार के लिए जो जिम्मेदारी दी गई वह उसे पूरा नहीं कर सके। मोदी ने भाजपा के सभी सांसदों को निर्देश दिया था कि जनता के बीच सरकार के कामकाज को ठीक से प्रस्तुत करें।
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