थायराइड, मधुमेह व हृदय रोग के बाद बड़ी संख्या में होने वाले रोगों में से एक है। इस बीमारी के लक्षणों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता क्योंकि ये लक्षण आयु बढऩे के साथ व रजोनिवृत्ति के समय ही पाए जाते हैं। इसी कारण से इस बीमारी के होने का पता नहीं चल पाता। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को थायराइड की समस्या ज्यादा होती है। बढ़ती उम्र के साथ इसके बढ़ने का खतरा भी ज्यादा होता है। अगर आप में थायराइड ग्लैंड अंडरएक्टिव है तो इसके विभिन्न संकेत और लक्षण भी नजर आते हैं। आइए हम आपको महिलाओं में पाये जाने वाले इसके मुख्य लक्षणों के बारें में बताते हैं।
वजन बढ़ना
थायराइड के कारण मेटाबॉलिज्म की दर धीमी पड़ जाती है। इसका मतलब यह कि आप जो खाना खाती हैं, उसका आपकी एनर्जी की आवश्यकताओं के लिए उचित तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप, आपकी बॉडी में फैट का अस्पष्ट जमाव और वजन बढ़ना शुरू हो जाता है।जब थायराइड अंडरएक्टिव होता है तो शरीर को पर्याप्त एनर्जी नहीं मिलती। जिसके कारण लगातार थकान और नींद आती रहती हैं। यहां तक कि किसी भी हल्की-फुल्की फिजिकल एक्टिविटी के बाद भी व्यक्ति बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करता है।हायपरथायराइड से पीडि़त लोगों में मांसपेशी और जोड़ों में दर्द हो सकता है, खासकर बांह और पैर में। इसके अलावा बांह के ऊपरी हिस्से में दर्द भी हो सकता है।
अस्वस्थ बाल, आखें और नाखून
यह सबसे पहला लक्षण है, जो नजर आता है। नाखून पतले और रूखे होने शुरू हो जाते हैं। इससे नाखूनों में दरार और वह जल्दी टूटने लगते हैं। इसके अलावा, नाखूनों में सफेद लाइन भी नजर आने लगती है।इस रोग से पीडि़त कई महिलाओं में आंखों की बीमारियां भी हो जाती हैं जैसे आंखें लाल होना, खुजली होना, आंखों में सूजन आदि। कई महिलाओं में पानी और शरीर के दूसरे फ्लूड्स का अत्यधिक अवरोधन शुरू हो जाता है, जो हाथों और पैरों में हल्के सूजन के रूप में नजर आता है. अंगूठी और चूड़ियां भी हल्की कस जाती हैं।
शारीरिक आवश्यकताओं में बदलाव
थायराइड प्रतिकूल रूप से शारीरिक आवश्यकताओं पर भी असर डालता है। कुछ महिलाएं सेक्सुअल इंटरकोर्स या किसी दूसरे फिजिकल इंटीमेसी में बिल्कुल दिलचस्पी नहीं लेतीं। समस्या तब और ज्यादा खराब हो जाती है जब उनके अंदर सेक्सुअल एक्टिविटी से घृणा बढ़ जाती है। अंडरएक्टिव थायराइड ग्लैंड अकसर महिलाओं की आवाज़ में भी परिवर्तन लाता है। उनकी आवाज़ पहले से भारी और हार्श हो जाती हैं। जब महिलाएं बात करती हैं तो इरिटेटिंग क्वालिटी और कर्कशपन भी महसूस किया जा सकता है।
रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है
थाइराइड होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम़जोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते उसे कई बीमारियां लगी रहती हैं। थाइराइड की समस्या से ग्रस्त आदमी को जल्द थकान होने लगती है। उसका शरीर सुस्त रहता है। वह आलसी हो जाता है और शरीर की ऊर्जा समाप्त होने लगती है।थाइराइड की समस्या होने पर आदमी हमेशा डिप्रेशन में रहने लगता है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।
अनियमित पीरियड्स और अवसाद
महिलाओं में पीरियड्स में अनियमितताएं शुरू हो जाती है। यह पहले की तुलना में लाइटर या हेवियर रूप में हो सकता है। इसके अलावा, कई महिलाओं में दो पीरियड्स के इंटरवल में भी अनियमितता शुरू हो जाती है जैसे 28 दिन का साइकिल 40 दिन का बन सकता है।इस रोग से डिप्रेशन की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। एक शोध के अनुसार मानसिक तनाव का संबंध थायराइड हार्मोन्स का कम उत्पादित होना है परंतु डिप्रेशन के रोगी थायराइड परीक्षण नहीं कराते जिससे इस रोग का पता नहीं चल पाता।
थायराइड रोग का पता ब्लड टेस्ट से चलता है। डाक्टर उन महिलाओं को थायराइड का परीक्षण कराने की सलाह देते हैं जिनमें इस प्रकार के लक्षण पाए जाते है। यदि आपको भी ये समस्याएं हैं तो डाक्टर से परामर्श करके उचित इलाज कराएं।