कहीं पर नौकरी के लिए आवेदन करने वाले जानते हैं कि उन्हें उस पोस्ट को हासिल करने के लिए कई राउंड्स से गुजरना पड़ता है। पिछले कुछ महीनों से देखने को मिल रहा है कि प्राइवेट कंपनियों में नौकरी मिलने की प्रक्रिया लंबी होती जा रही है क्योंकि अब पहले के मुकाबले ज्यादा राउंड्स होने लगे हैं। एक तरफ निचले पदों पर सरकारी नौकरी में इंटरव्यू खत्म हो गया है तो दूसरी तरफ प्राइवेट नौकरियों में इसका चलन बढ़ता जा रहा है। कई बार तो एक से ज्यादा इंटरव्यू तक लिए जा रहे हैं।
MNCs ऐसा क्यों कर रही हैं? इसके बारे में अंटल इंटरनैशनल के मैनेजिंग पार्टनर मयंक चंद्रा से यही सवाल किया गया। चंद्रा ने बताया कि अब कंपनियां बीच की और उसके ऊपर की जगह के लिए भी इंटरव्यू लेने लगी हैं और उससे ऊपर की पोस्ट के लिए तो यह पहले से ही हो रहा था।
क्या है वजह?
चंद्रा के मुताबिक, कंपनियां इस वक्त ज्यादा विस्तार के मूड में नहीं हैं। ‘वेट एंड वॉच’ नीति के तहत वह सिलेक्शन प्रोसेस को लंबा खींच रही हैं, जिससे लोग लटके रह जाते हैं। चंद्रा ने आगे कहा कि कंपनियां बेस्ट टैलंट को चुनना चाहती हैं, ऐसे में इंटरव्यू के राउंड जितने ज्यादा होंगे किसी को अच्छे से समझने का उतना ज्यादा मौके मिलेंगे। चंद्रा ने यह भी कहा कि कंपनियां ऐसा नहीं चाहती कि कोई भी टैलंट उनकी नजरों से बच पाए। इसलिए वह ज्यादा-से-ज्यादा लोगों का इंटरव्यू लेती हैं ताकि टॉप लोगों को चुना जा सके।