अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सियांग जिले के तूतिंग इलाके के बिशिंग गांव में दिसंबर महीने में चीनी सैनिकों की घुसपैठ का मामला सामने आया था। मैकमोहन लाइन से 1.25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस इलाके में पीपल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिक सड़क बनाने के उपकरण लेकर आए थे। कनेक्टिविटी के लिहाज से यह इलाका देश के सबसे सुदूर क्षेत्रों में से एक है। सबसे हैरानी की बात यह है कि इस इलाके में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों को यह तक नहीं पता था कि यह इलाका भारत के हिस्से में है।
तूतिंग सर्कल के अतिरिक्त उपायुक्त के. अपांग ने कहा, ‘चीनी सैनिक जिस इलाके में घुस आए थे, वह पहुंच से काफी दूर है। गांवों के शिकारियों के अलावा कोई भी व्यक्ति इस इलाके में नहीं जाता है क्योंकि यहां पहुंचना बेहद कठिन है। घुसपैठ से पहले तक हम लोग यह सोचते थे कि यह इलाका नोमेन्स लैंड है क्योंकि यहां सीमा तय करने के लिए कोई भी नदीं या नहर नहीं है। चीनियों के यहां पहुंचने के बाद हमने गूगल मैप चेक किया, जिससे यह पता चला कि यह भारत का ही हिस्सा है।’ यही नहीं अपांग ने कहा कि चीन की सड़क बनाने वाली टुकड़ी पहले ही 1.25 किलोमीटर लंबी सड़क बना चुकी है।
चीनी सेना ने जिस इलाके में सड़क बनाई है, वह सियांग नदी के पूर्वी सिरे पर है। यह नदी तिब्बत के यारलुंग सांगपो से निकलती है। चीनी इस इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा के जरिए आसानी से घुस आते हैं, जबकि बिशिंग गांव के लिए भारत की ओर से कोई सड़क ही नहीं है। गांव के लोगों को 4 किलोमीटर पैदल चलकर सियांग नदी पर बने एक पुल तक जाना पड़ता है और वहां से वे गेलिंग पहुंचते हैं, जहां तक पक्की सड़क बनी हुई है।
के. अपांग ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बताया, ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के नियमों के मुताबिक गांव में कम से कम 100 लोगों की आबादी पर ही सड़क बनाई जा सकती है। बिशिंग में 16 घर हैं और कुल 54 लोग बसते हैं। यही वजह है कि इस गांव को जोड़ने के लिए कोई सड़क नहीं बन पाई है।’ गौरतलब है कि चीनी सेना की सड़क बनाने वाली टुकड़ी की घुसपैठ की जानकारी एक लोकल पोर्टर ने आईटीबीपी को दी थी। इस पर भारतीय विरोध के बाद चीनी वापस चले गए थे।