दो युवतियों ने साइकल से दिया ‘बेटियों को बचाने और पढ़ाने’ का संदेश

दो युवतियों ने साइकल से दिया ‘बेटियों को बचाने और पढ़ाने’ का संदेश

यह उन दो युवतियों की जिद ही थी जिन्होंने जम्मू-कश्मीर से कन्याकुमारी तक 3,868 किलोमीटर की दूरी साइकल से सिर्फ 35 दिनों में नाप डाली। धुन की पक्की, आत्मविश्वासी और विपरीत परिस्थितियों का सामना करने का हौसला रखने वाली ठाणे की 19 वर्षीय सायली महाराव और पुणे की 23 वर्षीय पूजा बुधावले ने 9 राज्यों से होते हुए 3 जनवरी को कर्नाटक में अपनी साइकल यात्रा समाप्त की।दो युवतियों ने साइकल से दिया ‘बेटियों को बचाने और पढ़ाने’ का संदेश

दोनों युवतियां प्रतिदिन 100 से 120 किलोमीटर साइकल चलाती थीं। इस दौरान वे 30 जगहों पर ठहरी थीं। गुरुवार सुबह मुंबई पहुंचने पर दोनों युवतियों का लोगों ने ढोल-नगाड़े बजाकर स्वागत किया। पूजा टूर ऐंड ट्रैवल्स में डिप्लोमाधारक है जबकि सयाली पुणे के शाहू कॉलेज से बीए कर रही हैं। सफर में उन्होंने हर राज्य के मशहूर जायकों का भी आनंद लिया। 

मकसद संदेश देना
सयाली ने एनबीटी को बताया कि साइकल यात्रा करने का मकसद ‘बेटियों को बचाने’ और ‘बेटियों को पढ़ाने’ का संदेश देना है। उन्होंने बताया कि जम्मू से कन्याकुमारी तक की अधिकांश यात्रा नैशनल हाइवे पर साइकल चलाकर तय की। सफर के दौरान दोनों अलग-अलग स्कूलों में जाती थीं और लड़कियों को संबोधित करती थीं। वे उन्हें मन लगाकर पढ़ाई करने को कहती थीं। इस काम में उन्हें लोगों से काफी हौसला मिला। 

ओखी’ तूफान से सामना
सफर के दौरान दोनों युवतियों ने जम्मू-कश्मीर में कड़कड़ाती ठंड, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और यूपी में घने कोहरे, राजस्थान के उदयपुर में ओखी तूफान की वजह से हो रही बारिश, गुजरात और महाराष्ट्र में ठंड और गुनगुनी धूप और कर्नाटक और तमिलनाडु में त्वचा जलाने वाली धूप का सामना किया। यात्रा के दौरान वे दो बार बीमार भी हुईं। 

ऐसे की तैयारी
पूजा बताती हैं कि यात्रा की तैयारी के लिए वह पुणे में सयाली के साथ रोजाना 60 से 70 किलोमीटर साइकल चलाती थीं। साइकल से वे लोग पुणे से सातारा, पुणे से जेजुरी, पुणे से लोनावला और पुणे से कोल्हापुर तक जाया करती थीं। इस अभ्यास से उन्होंने साइकल यात्रा की तैयारी की। 

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