दिल्ली हाई कोर्ट ने बहुचर्चित जिगिशा घोष हत्या के दोषियों की सजा को फांसी से उम्रकैद में बदल दिया। निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को यह फैसला दिया। ट्रायल कोर्ट ने दोषी रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की सजा सुनाई थी। तीसरे दोषी बलजीत मलिक की उम्रकैद की सजा बरकरार रहेगी।
जस्टिस एस. मुरलीधर और जस्टिस आई. एस. मेहता की बेंच ने मौत की सजा पाने वाले दो दोषियों और एक अन्य दोषी की निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर इससे पहले फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि आईटी प्रफेशनल जिगिशा घोष का मार्च 2009 में ऑफिस से लौटते वक्त दोषियों ने कि़डनैप कर लिया था। दो दिन बाद जिगिशा की लाश हरियाणा के सूरजकुंड में मिली थी।
ट्रायल कोर्ट ने दोषी रवि कपूर और अमित शुक्ला को मौत और तीसरे दोषी बलजीत मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बलजीत को जेल में अच्छे व्यवहार के कारण कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी। ट्रायल कोर्ट ने अपने फैसेल में कहा था, ‘यह एक कोल्ड ब्ल्डेड मर्डर है। दोषियों ने खूंखा मानसिकता के साथ युवा महिला का कत्ल किया। इस जघन्य अपराध के लिए किसी प्रकार की रहम की गुंजाइश नहीं है।’