भारत ने चीन से कहा, सड़क बनाने वाली मशीनें तो ले जाओ

भारत ने चीन से कहा, सड़क बनाने वाली मशीनें तो ले जाओ

अरुणाचल प्रदेश के सियांग क्षेत्र में टूटिंग में भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने जब चीनी लोगों को कंस्ट्रक्शन का काम रोकने के लिए कहा, तब चीनियों ने कहा कि हम अपने इलाके में यह काम कर रहे हैं। भारतीय सुरक्षाकर्मियों ने जब सबूत पेश किए तो वे वापस चले गए, लेकिन अपने साथ लाई गई खुदाई की दो मशीनें रहस्यमय ढंग से भारतीय इलाके में ही छोड़ गए। भारत ने चीनी पक्ष को संदेश भेजा है कि वे अपनी मशीनें ले जाएं।  भारत ने चीन से कहा, सड़क बनाने वाली मशीनें तो ले जाओ सूत्रों का कहना है कि मामले को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच उपलब्ध मौजूदा व्यवस्था के तहत संपर्क किया गया है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने भी बुधवार को कहा कि सीमा से जुड़े विवाद दोनों देश मौजूदा व्यवस्था के तहत सुलझाने में सक्षम हैं और सीमा पर शांति दोनों देशों के हित में है। 

सीमावर्ती इलाके में सड़क बनाने के लिए चार स्टेज पर काम होता है – सर्वे, अलाइनमेंट, फॉर्मेशन और कारपेटिंग। सर्वे के तहत सड़क बनाने के लिए इलाके का जायजा लिया जाता है। टूटिंग में सर्वे का काम चीनियों ने कब किया, इसका पता सुरक्षा एजेंसियों को नहीं चल सका। जब भारतीय सैनिक वहां पहुंचे तो करीब एक किलोमीटर तक अलाइनमेंट का काम हो चुका था। अलाइनमेंट के तहत सड़क की दिशा तय कर ली जाती है। फॉर्मेशन के तहत मशीनों से खुदाई की जाती है। करीब 400 मीटर तक फॉर्मेशन का काम भी पूरा हो चुका था। भारत की ओर से भी इस इलाके में सड़क बनाने पर काम किया जा रहा है। चीनी सैनिकों की चौकी मौके से करीब डेढ़ किलोमीटर पीछे हैं। चीनी सैनिकों की चौकी तक पक्की सड़क है और वे उसके आगे सड़क बनाने की कोशिश कर रहे हैं। 

भारत, चीन और भूटान की सीमाओं के जंक्शन डोकलाम में पिछले साल दोनों देशों की सेनाओं का आमना-सामना करीब ढाई महीने तक चला था। बाद में दावा किया गया कि गतिरोध खत्म हो गया है, लेकिन रपटें हैं कि चीन के सैनिक कड़ी सर्दी में भी 500 मीटर जमे हुए हैं। चीन की ओर से पिछले साल जुलाई में उत्तराखंड के चमोली जिले के बाड़ाहोती में भी घुसपैठ की गई थी। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत कह चुके हैं कि उत्तरी सीमा पर हमारे विरोधी की ओर से भुजाएं फड़काने का काम शुरू हो चुका है, धीरे-धीरे जमीनी दखल बढ़ाया जा रहा है, बर्दाश्त करने की हद को परखा जा रहा है। हमें इसके लिए तैयार रहना होगा कि यह स्थिति धीरे-धीरे टकराव की ओर ले जा सकती है। 

अरुणाचल का अस्तित्व नहीं मानते : चीन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बुधवार को भारतीय सीमा के अंदर घुसने की बात पर टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि वह अरुणाचल प्रदेश का अस्तित्व नहीं मानता है। गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश को चीन दक्षिण तिब्बत मानता है। उसका मानना है कि अगर पूरा प्रदेश न सही तो इसका तवांग इलाका उसे सौंप दिया जाना चाहिए। वह भारतीय नेताओं की अरुणाचल यात्रा पर ऐतराज जताता रहा है। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और अमेरिकी राजदूत की अरुणाचल यात्रा पर चीन ऐतराज जता चुका है। मोदी 2015 में भी अरुणाचल गए थे और तब भी चीन ने विरोध जताया था। मोदी की अगली अरुणाचल यात्रा इसी साल संभावित है, लेकिन इसकी तारीख तय नहीं है। 

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