धरना-प्रदर्शन के दौरान तोड़-फोड़ और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों से निपटने के लिए सरकार नया कानून बनाने जा रही है। इसके लिए दो तरह के कानून बनाने पर विचार हो रहा है- डिफेसमेंट ऑफ पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट और डैमेज टू पब्लिक प्रॉपटी एक्ट।
इसके तहत सरकारी संपत्ति को जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई संबंधित व्यक्ति, प्रदर्शनकारी और प्रदर्शन आयोजित करने वाले संगठन से की जाएगी। इसके लिए गृह विभाग के सचिव की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी बनाई गई है।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि सोमवार को मुख्य सचिव राजीव कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस पर निर्णय लिया गया। इस एक्ट में क्लेम टिब्यूनल भी बनाया जाएगा जो पब्लिक प्रॉपर्टी के नुकसान का आकलन कर रिकवरी आदेश जारी करेगा। रिकवरी न होने पर आरसी जारी कर वसूली की जाएगी।
यह भी होगा कानून में
प्रमुख सचिव गृह के अनुसार इस कानून में सरकारी बिल्डिंग या दीवारों पर विज्ञापन की पेंटिंग कराना, दीवारों पर पोस्टर चिपकाना और दीवारों को नुकसान पहुंचाने के लिए किया गया कोई कृत्य भी आएगा।
5 सदस्यीय कमेटी, 20 दिन में देगी रिपोर्ट
कमेटी में गृह विभाग के सचिव ओपी वर्मा अध्यक्ष होंगे। विशेष सचिव न्याय विभाग राजेश सिंह, एडीजी क्राइम चंद्र प्रकाश, अभियोजन विभाग के एपीओ एमएस सूरी व अभियोजन विभाग के ही एक अन्य अधिकारी सदस्य हैं। कमेटी 15-20 दिन में रिपोर्ट देगी। इस पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
धरना प्रदर्शन की होगी वीडियो ग्राफी
प्रमुख सचिव ने बताया कि इस कानून के तहत किसी भी धरना या प्रदर्शन के लिए जब परमीशन दी जाएगी तो उसी समय संबंधित थाना क्षेत्र के एसओ को वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी का पैनल बनाने के निर्देश भी दिए जाएंगे। यह फोटोग्राफ और वीडियो क्लेम टिब्यूनल को निर्णय लेने में मदद करेंगे।
हालांकि इस पर पहले से अमल किया जा रहा है। अभी किसी प्रदर्शन के समय पुलिस कर्मियों द्वारा वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी तो की जाती है, लेकिन फिलहाल इसका कोई रिकॉर्ड नहीं रखा जाता। क्लेम टिब्यूनल बनने के बाद इसका रिकार्ड भी रखना होगा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत फैसला
नया कानून बनाने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के 2009 में दिए गए उस आदेश के तहत की जा रही है, जिसमें सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की भरपाई प्रदर्शनकारी से करने को कहा था। अब तक 23 राज्यों ने इस तरह के कानून बना भी दिए गए, लेकिन सबसे बड़ा राज्य होने के बाद भी यहां इस तरह का कानून नहीं बना। प्रमुख सचिव ने बताया कि 2011 और 2014 में दो बार इसके प्रयास किए गए थे, लेकिन वह अंजाम तक नहीं पहुंच सका था।
अभी वसूली का नहीं है प्रावधान
अभी तक धरना-प्रदर्शन के दौरान हुए नुकसान की भरपाई के लिए कोई प्रावधान नहीं था। ऐसे मामलों में अभी तक आपराधिक मामले के तहत ही कार्रवाई होती है। अधिक नुकसान होने पर प्रदर्शनकारियों की पहचान कर उनके खिलाफ 7 क्रिमनल लॉ एक्ट के तहत कार्रवाई की जाती है। नए कानून में सिर्फ प्रदर्शनकारी से ही नहीं बल्कि प्रदर्शन के पीछे कौन लोग थे, किसी की ओर से आयोजन किया गया था? उन्हें भी चिह्नित करके कार्रवाई का प्रावधान होगा।