UP के नए डीजीपी: मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के SSP थे ओ पी सिंह

UP के नए डीजीपी: मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के SSP थे ओ पी सिंह

1983 बैच के आईपीएस अफसर ओमप्रकाश सिंह प्रदेश के नए डीजीपी होंगे। गृह विभाग ने रविवार को उनके नाम की घोषणा की। ओमप्रकाश फिलहाल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में सीआईएसएफ के डीजी हैं। माना जा रहा है कि वे दो जनवरी को प्रदेश के पुलिस मुखिया की जिम्मेदारी संभालेंगे।UP के नए डीजीपी: मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के SSP थे ओ पी सिंह
ओमप्रकाश सिंह बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ हुए गेस्ट हाउस कांड के समय लखनऊ के एसएसपी थे। मुलायम सिंह ने उन्हें इलाहाबाद से बुलाकर एसएसपी बनाया था। वे तीन बार लखनऊ के एसएसपी रहे। पहली बार 19 मई 1994 को उन्हें लखनऊ का एसएसपी बनाया गया था, लेकिन एक माह छह दिन बाद उन्हें यहां से हटाकर इलाहाबाद का एसएसपी बना दिया गया।

दूसरी बार, 2 जून 1995 को अचानक उनका तबादला इलाहाबाद से लखनऊ किया गया, लेकिन कुछ ही घंटे बाद हुए गेस्ट हाउस कांड के कारण उन्हें दो दिन में ही सस्पेंड कर दिया गया। तीसरी बार वह भाजपा की कल्याण सिंह की सरकार में लखनऊ के एसएसपी बने। तीन माह नौ दिन तक इस पद पर रहने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार निवारण संगठन भेज दिया गया। इस बार इनका स्थानांतरण डीआईजी के पद पर प्रमोट होने के कारण किया गया था। इसके बाद वे आजमगढ़ और मुरादाबाद रेंज के डीआईजी व मेरठ जोन के आईजी बनाए गए।

ओपी सिंह अल्मोड़ा (अब उत्तराखंड में), खीरी, बुलंदशहर, लखनऊ, इलाहाबाद और मुरादाबाद के एसएसपी रह चुके हैं। खीरी में उनका सबसे लंबा कार्यकाल डेढ़ वर्ष रहा। सबसे पहले बतौर ट्रेनी एएसपी वाराणसी में उनकी पहली पोस्टिंग हुई थी।

शिया-सुन्नी समझौता कराने में रहे थे कामयाब

ओपी सिंह को लखनऊ में अरसे से चले आ रहे शिया-सुन्नी विवाद को सुलझाए जाने के लिए भी जाना जाता है। 1998 में उन्होंने दोनों पक्षों में समझौता कराकर 20 वर्ष से अधिक समय से प्रतिबंधित जुलूस निकलवाया था।

चार अधिकारियों को सुपरसीड कर बने डीजी
ओपी सिंह चार सीनियर आईपीएस अधिकारियों को सुपरसीड कर डीजीपी बने हैं। ग्रेडेशन लिस्ट के अनुसार सुलखान सिंह के रिटायर होने के बाद सबसे वरिष्ठ अधिकारी प्रवीण सिंह हैं। दूसरा नंबर डॉ. सूर्य कुमार का, तीसरा राजीव राय भटनागर और चौथा नंबर गोपाल गुप्ता का है। इनमें से राजीव राय भटनागर का कार्यकाल भी दो वर्ष का बचा है। ओपी सिंह का नाम अंतिम समय तक गोपनीय रखा गया।

शनिवार देर रात मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार और प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एसपी गोयल की बैठक के बाद उनका नाम फाइनल किया गया और रात में ही ई-मेल से केंद्र सरकार को सूचना दी गई थी। प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि नए डीजीपी के जॉइन करने तक एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार के पास डीजीपी का चार्ज रहेगा।

क्रिकेट के शौकीन हैं, पिता की स्मृति में हर साल कराते हैं क्रिकेट टूर्नामेंट

उत्तर प्रदेश के नए डीजीपी ओपी सिंह क्रिकेट के शौकीन हैं। वे बिहार के गया जिला के चाकंद थानाक्षेत्र के गांव मीरा बिगहा के रहने वाले हैं। उनके गांव में आज जश्न का माहौल है। गांव के पूर्व मुखिया उमेश कुमार सिंह बताते हैं कि उनके चाचा ओमप्रकाश सिंह बचपन से ही क्रिकेट खेलने के शौकीन रहे हैं। पिता की मृत्यु के बाद प्रतिवर्ष उनकी याद में क्रिकेट टूर्नामेंट करवाते हैं। पिछले नौ दिसंबर को वे एक शादी समारोह में गांव आए थे और गांव वालों के साथ क्रिकेट खेला था।

ग्रामीण बताते हैं कि स्व. शिवधारी सिंह के दो पुत्रों में छोटे ओमप्रकाश शुरू से ही पढ़ने-लिखने में तेज रहे। गया जिला स्कूल से मैट्रिक पास करने के बाद उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से बीए किया और दिल्ली विश्वविद्यालय से एमए। दिल्ली में रहने के दौरान यूपीएससी की तैयारी शुरू की और साल 1973 में वे यूपी काडर से आईपीएस अफसर बने। 1974 में चीफ जस्टिस केवीएन सिंह की पुत्री से उनकी शादी हुई। उनके एक पुत्र व एक पुत्री है।

मां की तपस्या ने बनाया आईपीएस
उत्तर प्रदेश के नए पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह के बड़े भाई डॉ. प्रकाश सिंह ने पत्रकारों को बताया कि हम भाइयों की सफलता के पीछे हमारी मां की लंबी तपस्या है। गया में रहने वाले प्रकाश सिंह ने कहा, मैं एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। इसी बीच अचानक पिताजी का स्वर्गवास हो गया। उस समय उनके बैंक खाते में मात्र 603 रुपये थे। तब मां ने हमलोगों की पढ़ाई जारी रखने के लिए चाकन में खेतीबाड़ी का अपना काम देखना शुरू कर दिया। हमारी पढ़ाई के लिए उन्हें 10 वर्षों तक खेती करनी पड़ी।

 

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