76 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं, पर कोई आदर्श नहीं मिला :राम जेठमलानी
76 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं, पर कोई आदर्श नहीं मिला :राम जेठमलानी

76 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं, पर कोई आदर्श नहीं मिला :राम जेठमलानी

  • नई दिल्ली. देश के मशहूर वकील राम जेठमलानी अब वकालत नहीं करेंगे। शनिवार को बार काउंसिल के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 14 सितंबर काे 95 साल का हो रहा हूं। उस दिन वकालत से संन्यास ले लूंगा। जेठमलानी के नाम देश में सबसे कम उम्र और सबसे अधिक उम्र के वकील होने का रिकाॅर्ड है। उन्होंने महज 19 साल की उम्र में वकालत शुरू की और 76 साल से इस पेशे में हैं।
    76 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं, पर कोई आदर्श नहीं मिला :राम जेठमलानी

    रिटायरमेंट की घोषणा के बाद राम जेठमलानी से किसी भी मीडिया की पहली बातचीत…

    Q. कहा जाता है जेठमलानी के लिए जज को भी तैयारी करके आना पड़ता है। आपके लिए सबसे टफ कौन रहे?
    A.कोई जज नहीं मिला जिसके सामने मैं नर्वस हुआ। मैंने हर केस में जी-जान से मेहनत की है। हां, ऐसा बहुत बार हुआ है जब मेरे तर्कों की वजह से जज जरूर नर्वस हुए। पर वे भी सम्मान करते हैं।
     Q. आपने आसाराम, अफजल गुरु, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के हत्यारे जैसे लोगों की पैरवी की। क्यों?
    A. वकील का काम है केस लड़ना। अच्छे-बुरे के आधार पर केस चुनना वकालत के सिद्धांतों के खिलाफ है। मैं केस लेते समय देखता हूं कि मेरे पास आने वाले व्यक्ति के खिलाफ कितने फर्जी गवाह तैयार किए गए हैं। छवि मायने नहीं रखती।
    Q. खिलाडि़यों के संन्यास होते रहे हैं, किसी वकील का शायद पहली बार होगा। क्या पब्लिसिटी के लिए?
    A. जिस मुकाम पर हूं, वहां और क्या पब्लिसिटी चाहिए? एक हफ्ते पहले भी जस्टिस कुरियन जोसेफ के सामने कहा था कि ये मेरा आखिरी केस है। शनिवार को वही बात दोहराई।
    Q. राम जेठमलानी किसके जैसा बनना चाहते थे?
    A.76 साल में बहुत से अच्छे और सम्मान देने योग्य लोग मिले। पर उनमें से कोई उस कसौटी पर खरा न उतरा, जिसे मैं अपना आदर्श मान सकता।

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    Q. कौन-सा केस आपके लिए सबसे ज्यादा मुश्किल रहा?
    A. पहला केस अपने अधिकारों के लिए लड़ा था। मैं रिफ्यूजी था, जो पाकिस्तान से आया था। उस समय महाराष्ट्र की मोरारजी सरकार ने बाम्बे रिफ्यूजी एक्ट पास किया। उसमें रिफ्यूजियों को अपराधियों के तौर पर ट्रीट किए जाने की बात कही गई थी। इसके कारण रिफ्यूजियों को एक कॉलोनी से निकाल कर दूसरी कॉलोनी में शिफ्ट किया जाने लगा। इसे मैंने चुनौती दी और जीता भी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उस कानून को रद्द कर दिया था।
    Q. क्या यह आपकी पहली कानूनी लड़ाई थी?
    A. नहीं। आजादी से पहले मैंने 17 साल की उम्र में वकालत की डिग्री हासिल कर ली। पर बार काउंसिल से 21 साल की उम्र से पहले वकालत का लाइसेंस नहीं मिल सकता था। मैं कराची के चीफ जस्टिस से मिला। उन्हें बताया कि मुझ पर यह नियम लागू नहीं होता। क्योंकि मुझे 17 साल की उम्र में डिग्री का अधिकार देते हुए यह नियम नहीं था। चीफ जस्टिस माने। बार काउंसिल को लाइसेंस देने को कहा। मुझे 18 साल की उम्र में ही वकालत का लाइसेंस मिल गया था।
    Q. आपने अब तक कितने केस लड़े हैं? कोई ऐसा कोर्ट जहां आप न गए हों?
    A.लाखों लड़े। पर रिकॉर्ड बनाने के लिए कभी गिना नहीं। शुरू में केसों का ब्यौरा रखता था। फिर छोड़ दिया। देश में शायद ही ऐसा कोई हाईकोर्ट होगा, जहां मैं नहीं गया।
    Q. पेशे में कोई बात जो निराश करती हो?
    A. हां, कई बार मैं तैयारी करके जिरह के लिए पहुंचा और मुवक्किल कान में आकर कहता है कि वकील साहब जिरह मत कीजिएगा। हमारा समझौता हो गया है। ऐसे लोगों से सख्त चिढ़ है। समझौता ही करना होता है तो वकील क्यों हायर करते हैं ?
    Q. राजनीति में आप अपनी ही पार्टी के विपक्ष बने रहे। नेता नहीं बन सके…
    A. राजनीति में धूर्त (क्रूक्स) लोग ज्यादा हैं। कांग्रेस में भी और भाजपा में भी। इसलिए अक्सर टकराव होता रहा। मेरा मकसद राजनीति से भ्रष्टाचार खत्म करना है।
    Q. आपने कई बार कहा है कि नेताओं ने धोखेबाजी की। कोई उदाहरण?
    A. मैंने लालकृष्ण आडवाणी का एक केस लड़ा था। उस केस में सेशन कोर्ट में अरुण जेटली पहले आडवाणी के वकील थे। कोर्ट में आडवाणी के खिलाफ आरोप तय कर दिए थे। आडवाणी ने घर के बाहर धरना दिया कि आपको मेरा केस लड़ना होगा। मैंने हाईकोर्ट से उन्हें राहत दिलवाई। सिला ये मिला कि उन्हीं आडवाणी ने मेरा भाजपा से निष्कासन का आदेश पत्र साइन किया।
    Q. कहा जाता है कि मोदी आपके अच्छे मित्र रहे हैं। उनके बारे में कुछ कहेेंगे?
    A.नरेंद्र मोदी मेरे अच्छे मित्र रहे हैं। जब वे प्रधानमंत्री बने तो मैंने संडे गार्जियन मैग्जीन में एक लेख लिखा था। उन्हें बधाई भी दी थी। उनकी सफलता में एक छोटा योगदान मेरा भी रहा है। इस लेख की वजह से भाजपा में मेरे बहुत से दुश्मन भी बन गए। मगर प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने धन्यवाद देना तो दूर की बात है, मुझसे बातचीत तक भी नहीं की। उन्होंने मेरे लिए कुछ भी नहीं किया। कुछ भी नहीं का मतलब कुछ भी नहीं।
    Q. आपके जीवन में कोई ऐसा पहलू है, जिसे ज्यादातर लोग न जानते हों?
    A. मैं कोई भी काम छिपा कर नहीं करता। मेरा जीवन खुली किताब है। ऐसे में मेरा ऐसा कोई पहलू नहीं है, जिसे लोग न जानते हों।
    Q. संन्यास के बाद क्या करेंगे? कोई इच्छा जिसे आप अब पूरी करना चाहेंगे।
    A.मैंने वकालत की प्रैक्टिस से संन्यास लिया है राजनीति से नहीं। अब मेरी आगे की लड़ाई राजनीति में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ ही होगी।

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