पांच दिनों में कश्मीर में अब तक 45 जवान शहीद हो चुके हैं. सरकार सेना को एक्शन की खुली छूट दे चुकी है. इसके बावजूद आतंकी जवानों को निशाना बना रहे हैं.जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में शहीद हुए 40 जवानों की चिता की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि चार और जवान आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए. सोमवार सुबह पुलवामा के पिंगलिना में जवानों ने आतंकियों के खिलाफ एक्शन शुरू किया. लेकिन एनकाउंटर शुरू होने के कुछ ही देर बाद सुरक्षाबल के 4 जवान शहीद हो गए. इनमें एक मेजर रैंक का अफसर भी शामिल है. जबकि कुछ जवान घायल हैं.
मालूम हो कि पुलवामा में जम्मू श्रीनगर हाईवे पर अवंतीपोरा में सीआरपीएफ पर आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे. आतंकी ने विस्फोटक से लदी गाड़ी जवानों से भरी बस में घुसा दी. इससे हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए.
इस हमले के ठीक दो दिन बाद जम्मू कश्मीर के रजौरी जिले में नियंत्रण रेखा पर बारूदी सुरंग के विस्फोट में मेजर चित्रेश सिंह बिष्ट शहीद हो गए. मेजर बिष्ट विस्फोटकों की छानबीन के लिए गठित एक बम निष्क्रिय दस्ते की अगुवाई कर रहे थे. इसी दौरान हुए विस्फोट में वो शहीद हो गए.
पुलवामा जिले के पिंगलिना इलाके में आतंकियों का एनकाउंटर करने सेना सर्च ऑपरेशन चला रही थी. इस दौरान मुठभेड़ में चार जवान शहीद हो गए. बताया जा रहा है कि जवानों ने अभी भी आतंकियों को घेर रखा है और मुठभेड़ जारी है. शहीद हुए जवानों में मेजर डीएस डोंडीयाल, हेड कॉन्स्टेबल सेव राम, सिपाही अजय कुमार और सिपाही हरी सिंग हैं.
आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाने कई कदम उठाए हैं. भारत सरकार ने पाकिस्तान से होने वाले आयात को 200 फीसदी बढ़ा दिया है, ताकि उसके लिए भारत से व्यापार आसान ना हो सके.
यही नहीं, पाकिस्तान से भारत मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी छीन चुका है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान को घेरने की तैयारी हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सार्वजनिक मंचों पर यह कह चुके हैं कि उन्होंने सेना को खुली छूट दी है. वो जगह और समय खुद तय करके आतंकियों से बदला ले.