39 साल पहले हुए बेहमई नरसंहार मामले में शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी। इसमें कोर्ट मूल केस डायरी के लिए सत्र लिपिक को दिए नोटिस पर जानकारी लेगी और उसी आधार पर मामले में आगे कार्रवाई बढ़ेगी।
फूलन देवी ने साथियों के साथ किया था नरसंहार
14 फरवरी 1981 को सिकंदरा थाना क्षेत्र के बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी, मुस्तकीम, राम औतार व लल्लू गैंग में शामिल 35-36 लोगों ने ग्रामीणों को एक लाइन में खड़ाकर गोलियां चलाई थीं। इसमें 20 लोगों को मौत हो गई थी जबकि 6 लोग घायल हो गए थे। वादी राजाराम ने मुकदमा दर्ज कराया था। 24 अगस्त 2012 में पांच अभियुक्तों भीखा, पोसे उर्फ पोसा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप, श्याम बाबू व राम ङ्क्षसह के खिलाफ आरोप तय होने पर न्यायालय में ट्रायल शुरू हुआ था। पांचों आरोपितों में से पोसा व राम ङ्क्षसह को जेल भेजा गया था, जिसमें 13 फरवरी 2019 को जिला कारागार में राम ङ्क्षसह को मौत हो गई थी। वहीं भीखा, विश्वनाथ उर्फ पुतानी उर्फ कृष्ण स्वरूप व श्याम बाबू जमानत पर हैं।
पत्रावली में नहीं थी मूल केस डायरी
न्यायालय ने केस की सुनवाई पूरी होने के बाद 18 जनवरी को फैसले की तिथि घोषित की थी, लेकिन पत्रावली में मूल केस डायरी न होने से फैसला टल गया था। न्यायालय ने मूल केस डायरी उपलब्ध कराने के लेकर सत्र लिपिक को नोटिस जारी किया था। साथ ही 24 जनवरी तक आख्या प्रेषित करने का समय दिया था। जिला शासकीय अधिवक्ता राजू पोरवाल ने बताया कि सत्र लिपिक को 24 जनवरी तक मूल केस डायरी उपलब्ध कराने के साथ ही आख्या प्रेषित करने का समय दिया था। अब शुक्रवार को अदालत लिपिक से जानकारी लेगी। मामले के वादी राजाराम ने बताया कि उनके साथ देवदत्त, जंटर ङ्क्षसह व पुत्र राजू आदि लोग अदालत जाएंगे।