नई दिल्ली। सुपर नटवर लाल और भारतीय चार्ल्स शोभराज के नाम से जाना जाने वाले 78 वर्षीय धनीराम मित्तल को दिल्ली पुलिस के वाहन चोरी निरोधक दस्ते ने 24वीं बार गिरफ्तार किया है। वह चार मई को ही जेल से बाहर आया था।
इसके बाद उसने शालीमार बाग इलाके से एक मारुति एस्टीम कार चुरा ली। धनीराम इससे पहले विभिन्न मामलों में 23 बार गिरफ्तार हुआ है। पिछली बार वह 31 मार्च को पकड़ा गया था। प्रशांत विहार और केएन काटजू मार्ग थाने से भी उसने कई वाहन चोरी किए थे।
पुलिस जांच के दौरान आरोपी सीसीटीवी फुटेज में नजर आया, जिसके बाद उसे पकड़ लिया गया। धनीराम पर दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ और पंजाब में भी मामले दर्ज हैं।
वह उन गाड़ियों की चोरी करता था, जो मास्टर चाबी से खुल जाती थीं। सुरक्षा से लैस गाड़ियों को वह नहीं चुराता था। पूछताछ में उसने बताया कि वह 1000 से ज्यादा गाड़ियां चुरा चुका है।
धनीराम के एक भाई पानीपत (हरियाणा) में जज थे। जांच में पता चला कि धनीराम के गिरोह में एक समय 100 से भी ज्यादा लोग थे, लेकिन उसकी उम्र बढ़ने के साथ सब उसका साथ छोड़ते चले गए। वह अभी नरेला के टिकरी खुर्द गांव में रह रहा था। इसके अलावा उसके ठिकाने हरियाणा के सोनीपत और भिवानी में भी थे।
मध्यम वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखने वाला धनीराम 1939 में भिवानी में पैदा हुआ था। रोहतक कॉलेज से स्नातक करने के बाद उसने रेलवे में नकली दस्तावेज बनाकर नौकरी पा ली थी। हैरानी की बात तो यह है कि उसने 1968-74 तक बतौर स्टेशन मास्टर काम भी किया है।
1964 में वह रोहतक में आरटीओ दफ्तर में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था। पुलिस की जांच में सामने आया है कि वह बेहद शातिर है। उसने झज्जर में खुद को वहां के मजिस्ट्रेट के तौर पर पेश किया था।
इसके अलावा उसने 1970 में राजस्थान से एलएलबी की और पटियाला हाउस कोर्ट में बतौर मुनीम काम किया। उसने रोहतक और दिल्ली के स्थानीय कोर्ट में भी प्रैक्टिस की थी। इस दौरान खुद को वकील और पुलिस वाला बताकर उसने कई लोगों को जेल से भी मुक्त कराया।
धनीराम की कई ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी में भी जान पहचान थी। वाहन चोरी करने के बाद उसे कैसे बेचा जाए और इसके लिए कैसे नकली दस्तावेज बनाए जाएं, इस काम में वह माहिर था।