वैसे तो मकर संक्रांति हर वर्ष या तो 14 जनवरी को आती है या फिर 15 जनवरी को पर्व काल मनाया जाता है लेकिन क्या आपको कभी विश्वास हो सकता है कि किसी जमाने में मकर संक्रांति को मनाने के लिये 22 दिसंबर निश्चित हुआ करता था। इस बात पर भले ही एक बार विश्वास न हो लेकिन ऐसा होता था, मगर लगभग 1700 वर्ष पहले। जी हां, 1700 वर्ष पहले 22 दिसंबर को ही मकर संक्रांति मनाने की परंपरा रही है।
यह सब खगोलीय घटना के साथ जुड़ा हुआ होता है। खगोल विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञों ने बताया कि 19 वीं सदी में मकर संक्रांति 13 या 14 जनवरी अथवा इससे अधिक 15 जनवरी को मनाई गई और इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनेगी वहीं आने वाले वर्ष 2018 में भी मकर संक्रांति का अवसर 14 जनवरी को ही होगा। विशेषज्ञों ने बताया कि वर्ष भर हर माह सूर्य देवता बारह राशियों में एक से दूसरे राशि में प्रवेश करते है तथा वर्ष की बारह संक्रांतियों में जनवरी में आने वाली संक्रांति विशेष होती है।
इस समय मकर राशि में प्रवेश करने के कारण यह पर्व मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाता है। खगोल शास्त्र के विशेषज्ञों ने बताया कि मकर संक्रांति मनाने का सिलसिला दो वर्ष के अंतराल से बदलता है। इसके चलते वर्ष 2017 के साथ ही 2018 में तो 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जायेगी वहीं 2021 में में मकर संक्रांति का अवसर 14 जनवरी को होगा, जबकि वर्ष 2019 और 2020 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जायेगी। 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाने का सिलसिला 2030 तक चलेगा।