इस तिथि को सूर्य और चंद्रमा के संगम भी कहा जाता है, क्योंकि पौष का महीना सूर्य देव का माह होता है और पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि है। सूर्य और चंद्रमा का यह संगम पौष पूर्णिमा की तिथि को ही होता है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
हिंदू धर्म में पूर्णिमा का दिन खास माना जाता है। मगर पौष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा का अधिक महत्व है। मोक्ष की कामना रखने वालों के लिए यह दिन बेहद खास होता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया गंगा स्नान मोक्ष दिलाने वाला होता है।
पौष पूर्णिमा के दिन सूर्य देव को अघ्र्य देकर व नमक रहित व्रत करने से सुख, शांति और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। पौष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण व्रत और पूजा का भी महत्व बताया गया है। इसे करने से अमोघ फल प्राप्त होता है। पौष पूर्णिमा के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत होकर मधुसूदन भगवान को स्नान कराकर सुन्दर वस्त् से सजाकर उन्हें नैवेद्य अर्पित करते हुए पूजा अर्चना करनी चाहिए।
पौष पूर्णिमा व्रत और पूजा विधि
1. पौष पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
2. वरुण देव को प्रणाम कर पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। बनारस के दशाश्वमेध घाट व प्रयाग में त्रिवेणी संगम पर पर डुबकी लगाना शुभ और पवित्र माना जाता है।
3. इसके बाद सूर्य मंत्र के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दें।
4. किसी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराएं।
5. ब्राह्मण या गरीब व्यक्ति को तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र का दान करें।
पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त
पूर्णिमा आरंभ – जनवरी 20, 2019 को 14:20:20 से
पूर्णिमा समाप्त – जनवरी 21, 2019 को 10:47:11 तक