2019 के 19 मुद्दे | सीरीज-11: कांग्रेस ने यूपीए के कार्यकाल में आतंकवादियों के खिलाफ किये गए एयर स्ट्राइक का जिक्र करना शुरू कर दिया है. इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस किसी भी तरह ये साबित करने में तुली है कि उन्होंने भी स्ट्राइक की. पहले उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का मजाक बनाया, अब वो कह रहे हैं- ‘मीटू, मीटू’.
चुनावी मौसम के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएएनएससी) ने पुलवामा आतंकी हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कर दिया. यह भारत की किसी बड़ी जीत से कम नहीं है. इस जीत के जश्न में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए. पीएम मोदी ने मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई के कुछ घंटों के भीतर राजस्थान के जयपुर में बीजेपी की रैली को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में यह एक बड़ी जीत की तरह है. उन्होंने कहा, ”अब देश को जहां पर से भी खतरा होगा वहां पर घुस कर मारेंगे और अगर वो गोली मारेंगे तो हम गोला मारेंगे.”
दरअसल, मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई एक तीर से दो निशान जैसा था. पहला पाकिस्तान और दूसरा चीन. मसूद अजहर लंबे समय से पाकिस्तान में रह रहा है और चीन इससे पहले करीब 10 सालों तक मसूद अजहर का बचाव करता रहा. लेकिन चीन ने इस बार मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई में अड़ंगा नहीं लगाया.
अब बीजेपी को इस बात की उम्मीद है कि आतंकवाद के खिलाफ पिछले पांच सालों में की गई कार्रवाई से चुनाव में फायदा मिलेगा. मसूद अजहर के खिलाफ हालिया कार्रवाई के पहले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर एक चुनावी जनसभा में रैलियों में पीओके में 28-29 सितंबर 2016 को किये गए सर्जिकल स्ट्राइक और 26 फरवरी 2019 को पाकिस्तान के बालाकोट में किये गए एयर स्ट्राइक का जिक्र करते रहे हैं.
यही नहीं पीएम मोदी ने चुनाव में पहली बार मतदान कर रहे युवाओं से बालाकोट एयर स्ट्राइक के नाम पर वोट करने की अपील की. उन्होंने पुलवामा के शहीदों को वोट समर्पित करने के लिए कहा. महाराष्ट्र के लातूर जिले में बीजेपी की रैली के दौरान पीएम ने कहा, ”आपका पहला वोट बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के लिए समर्पित हो सकता है क्या? आपका पहला वोट पुलवामा में शहीद हुए वीरों के नाम समर्पित हो सकता है क्या? आप अपना पहला वोट देश के लिए दीजिए. देश को मजबूत बनाने के लिए दीजिए, एक मजबूत सरकार बनाने के लिए दीजिए.”
पीएम मोदी के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताई और शहीदों के नाम पर वोट मांगने के आरोप लगाए. कांग्रेस ने चुनाव आयोग से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इसकी शिकायत की. चुनाव आयोग ने पीएम मोदी को क्लीनचिट दे दी, वहीं सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
सर्जिकल स्ट्राइक बताने की लगी होड़
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों को चुनाव में नहीं छोड़ना चाहते हैं. वह इसी बहाने कांग्रेस पर निशाना साधने से नहीं चूकते. पिछले दिनों ही जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाराष्ट्र में एक चुनावी जनसभा को संबोधित कर रहे थे उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकवादियों का स्वर्ग हो गया था. मुंबई आतंकवादी हमले (26/11) के बाद कांग्रेस की सरकार कुछ नहीं कर पाई. लेकिन पुलवामा हमले के बाद हमने घर में घुसकर मारा. एक मजबूत और संवेदनशील सरकार का मतलब क्या होता है?
पीएम मोदी के एयर स्ट्राइक, सर्जिकल स्ट्राइक के बाद विपक्षी दलों में पहले हुए एयर स्ट्राइक बताने की होड़ लग गई. खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यूपीए सरकार में भी आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी गई, लेकिन हमने कभी इसे चुनावों में नहीं भूनाया. कांग्रेस की सरकार के वक्त मंत्री रहे और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, शरद पवार ने भी मनमोहन सिंह के कार्यकाल में हुए सर्जिकल स्ट्राइक को गिनाया.
इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मीडिया के सामने आए. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके कार्यकाल में कई सर्जिकल स्ट्राइक किये गए. लेकिन हमने ऐसा प्रचार (मोदी सरकार की तरह) कभी नहीं किया. उन्होंने कहा, ”पिछले 70 सालों में जो भी सरकार सत्ता में आई उन्हें कभी भी आर्मी के पीछे छिपना नहीं पड़ा. हमारी आर्मी का ऐसा राजनीतिकरण बहुत ही शर्मनाक है.” उन्होंने कहा, ”पिछले पांच सालों में आतंकियों ने पंपोर, उरी, पठानकोट, गुरदासपुर, सुंजवान जैसे आर्मी कैंप पर निशाना बनाया. यहां तक कि अमरनाथ यात्रा पर भी हमला किया.” सिंह ने कहा, ”हमलों के बाद इनवेस्टिगेशन के लिए आईएआई को पठानकोट एयरबेस बुलाना सबसे बड़ी स्ट्रैटजिक भूल थी.”
यही नहीं कांग्रेस ने सर्जिकल स्ट्राइक की एक लिस्ट भी जारी की. कांग्रेस प्रवक्ता राजीव शुक्ला ने कहा कि यूपीए सरकार ने छह सर्जिकल स्ट्राइक की थी- पुंछ के भट्टल सेक्टर में (19 जून, 2008), केल में शारदा सेक्टर, नीलम नदी घाटी के पार (30 अगस्त-एक सितम्बर, 2011), सावन पात्रा चेकपोस्ट (छह जनवरी, 2013), नाजपीर सेक्टर (27-28 जुलाई, 2013), नीलम घाटी (छह अगस्त, 2013) और एक सर्जिकल स्ट्राइक 23 दिसम्बर, 2013 को की गई थी. उन्होंने बीजेपी के नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की पिछली एनडीए सरकार के तहत की गई दो सर्जिकल की भी सूची जारी की. ये सर्जिकल स्ट्राइक नादला एन्क्लेव, नीलम नदी के पार (21 जनवरी, 2000) और पुंछ में बरोह सेक्टर (18 सितंबर, 2003) हैं.
दरअसल, आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान में हुई कार्रवाई को लेकर मोदी सरकार वोकल रही है. वहीं कांग्रेस की पूर्व की सरकार चुप रही है. लेकिन कांग्रेस ने सर्जिकल स्ट्राइक पर दावा कर यह साफ कर दिया है कि उसकी कार्रवाई भी आम विमर्श में आए. शायद दोनों ही दलों को चुनाव में इसके नफा-नुकसान का अंदाजा है.
कांग्रेस के आक्रामक रुख को भांपते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस किसी भी तरह ये साबित करने में तुली है कि उन्होंने भी स्ट्राइक की. पहले उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का मजाक बनाया, अब वो कह रहे हैं- ‘मीटू, मीटू’.
क्या कहता है वायदो का पुलिंदा?
दोनों राष्ट्रीय पार्टी बीजेपी और कांग्रेस के मेनिफेस्टो पर गौर करें तो दोनों ने आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की रणनीति अपनाने की बात कही है. लेकिन बीजेपी राष्ट्रवाद को केंद्र में रख रही है जबकि कांग्रेस रोजगार, किसान और न्याय स्कीम को मुद्दा बना रही है.
मेनिफेस्टो में देखें तो बीजेपी ने विषय की शुरुआत (13वें पेज पर) ही आतंकवाद के खिलाफ एक्शन के वायदों से की है. वहीं कांग्रेस के मेनिफेस्टो में 16वें मुद्दे में आंतरिक सुरक्षा (26वें पेज) का जिक्र किया है. कांग्रेस के विषय की शुरुआत रोजगार से है.
वहीं दोनों ही दलों के 2014 के मेनिफेस्टो पर गौर करें तो बीजेपी ने 37वें पेज पर आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाए जाने का जिक्र किया था. कांग्रेस ने इसे 46वें पेज पर जगह दी.
इसबार के कांग्रेस के मेनिफेस्टो में देशद्रोह कानून खत्म करने और सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार देने वाले आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (अफस्पा कानून) में संशोधन करने का वादा है. कांग्रेस के इस वायदों को बीजेपी राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ बता रही है.
इन आरोप-प्रत्यारोप, दावों-वायदों के बीच इस चुनाव में एक अहम सवाल पूछा जा रहा है कि कांग्रेस या बीजेपी किस दल के कार्यकाल में देश ज्यादा सुरक्षित रहेगा? दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी की सरकार में देश ने कई आतंकी हमले देखे. सैकड़ों सुरक्षाबलों और आमलोगों की जान गई.
दावे और हकीकत
गृह मंत्रालय के रिपोर्ट पर गौर करें तो जम्मू-कश्मीर में स्थिति लगातार बिगड़ी. यहां 2014 से लेकर 2018 तक 1708 आतंकी गतिविधियां देखने को मिली. जिसमें 138 आम नागरिकों और 339 सुरक्षाबलों की मौत हुई. वहीं 838 आतंकियों को मार गिराया गया. देश के आंतरिक हिस्सों की बात करें तो पिछले पांच सालों में सात आतंकी हमले हुए और इन हमलों में आम नागरिकों और सुरक्षाबलों को मिलाकर कुल 11 की मौत हुई. वहीं सात आतंकी मारे गए.
मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान चार सालों में 2009- 2013 के बीच 1717 आतंकी गतिविधियां देखने की मिली थी. साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल (एसएटीपी) की रिपोर्ट के आधार पर मोदी सरकार के कार्यकाल और मनमोहन सिंह के पांच साल के कार्यकाल की तुलना करें तो मोदी सरकार में अधिक आतंकी तो मारे गए लेकिन आम नागरिक और सुरक्षाबलों ने भी अधिक जान गंवाई.
जनवरी 2014 से दिसंबर 2018 तक देखें तो आतंकी गतिविधियों और उसके खिलाफ कार्रवाई में 209 आम नागरिक, 358 सुरक्षाबल और 876 आतंकवादी की मौत हुई. वहीं जनवरी 2009 से दिसंबर 2014 तक के आंकड़े को देखें तो 161 आम नागरिक, 255 सुरक्षाबल और 815 आतंकवादी की मौत हुए.
अब जब लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाले जा रहे हैं, तो बीजेपी-कांग्रेस में अपने सुविधाओं के मुताबिक आंकड़े देने और दावा पेश करने की रेस लगी है. इस रेस में बीजेपी कहीं आगे निकल चुकी है. पार्टी ने आम लोगों के विमर्श में आतंकवाद का मुद्दा ला दिया है. हर तरफ राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा हो रही है. कांग्रेस इस मामले में कहीं पीछे है.