पिछले वित्त वर्ष 2018-19 के लिए नए आयकर रिटर्न फॉर्म जारी कर दिए गए हैं. पिछले साल की तुलना में इस बार के आयकर रिटर्न फॉर्म में कई बड़े बदलाव हुए हैं. ऐसे में करदाताओं को पहले के मुकाबले इस बार आयकर रिटर्न फॉर्म में अधिक जानकारियां देनी होंगी. फॉर्म में करतदाताओं से जो नई जानकारियां मांगी गई हैं उनमें भारत में निवास के दिनों की संख्या, अनलिस्टेड शेयर्स की होल्डिंग और टीडीएस होने पर किरायेदार का पैन शामिल है.
CBDT की ओर से जारी इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म मुख्य रूप से दो तरह के हैं. ITR-1 फॉर्म सिर्फ उन्हीं लोगों के लिए होगा जिनकी कुल इनकम 50 लाख रुपये तक है. इस आईटीआर फॉर्म को कोई ऐसा व्यक्ति इस्तेमाल नहीं कर सकता है जो किसी कंपनी का डायरेक्टर है. इसके अलावा जिस शख्स ने अनलिस्टेड इक्विटी शेयर में निवेश किया है उसके लिए भी यह फॉर्म उपयोगी नहीं है.
इस फॉर्म में सिर्फ सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और ब्याज से होने वाली इनकम की जानकारी देनी होती है. ITR-1 फॉर्म में स्टैंडर्ड डिडक्शन का भी विकल्प होगा.
आईटीआर फाइल करते समय वित्तीय वर्ष 2018-19 में आप स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए अधिकतम 40,000 रुपये का दावा कर सकते हैं. बता दें कि नए वित्तीय वर्ष में स्टैंडर्ड डिडक्शन के लिए अधिकतम लिमिट 50 हजार कर दी गई है. अगर आईटीआर-2 फॉर्म की बात करें तो यह उन लोगों और अविभाजित हिंदू परिवारों (HUFs) के लिए है जिन्हें किसी कारोबार या पेशे से कोई प्रॉफिट या लाभ नहीं होता है. इस फॉर्म में आपको वित्त वर्ष 2018-19 में निवास स्थान की जानकारी देनी होगी.
आसान भाषा में समझें तो यह बताना होगा कि इस वित्तीय वर्ष में आप कहां पर रह रहे थे.