तकरीबन 148 साल बाद भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर इस वर्ष (2017) में विशेष संयोग बन रहा है। द्वापर युग में जन्में भगवान कृष्ण भाद्रपद की अष्टमी की अर्धरात्रि में रोहिणी नक्षत्र में देवकी के गर्भ से जन्में थे। लेकिन उस रात की चांदनी अन्य रातों के मुकाबले कई गुना अधिक असरदार थी।15 अगस्त को योगी का बड़ा आदेश सभी मदरसों में फहराओ तिरंगा, जिसने नहीं फहराया वो UP में नहीं दिखेगा…
ज्योतिषों की मानें तो इस व्रष जन्माष्टमी पर 148 साल बाद विशेष संयोग तो बन ही रहा है इसके साथ ही इस बात पर भी कई श्रद्धालुओं में मत है कि जन्माष्टमी का पर्व 14 को मनाया जाएगा या 15 अगस्त के दिन।
लेकिन पंड़ितों के अनुसार, 14 तारीख को ही जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, क्योंकि 15 तारीख को केवल 5 बजे संध्या के समय तक ही अष्टमी की तारीख है।
आइए अब जानते हैं 148 साल बाद बने इस विशेष संयोग के बारे में…
माना जा रहा है कि ऐसे संयोग सदियों में कुछ ही बार आते हैं। इससे पहले वर्ष 1865 में राहु और शनिका ऐसा ही योग बना था।
इस सदी में जन्माष्टमी का ये पहला योग बना है। यदि आप कोई शुभ कार्य करने की सोच रहे हैं तो जन्माष्टमी में 148 साल बाद आए इस शुभ समय से बेहतर कुछ और नहीं होगा।
इसके अलावा उन लोगों के बारे में भी कुछ बताया गया है। यदि 28 और 29 अगस्त की रात को किसी बच्चे का जन्म होता है तो वह शूरवीर, ज्ञानी और भगवान कृष्ण की तरह 16 कलाओं से निपुण होते हैं।