चावल है शुद्धता का प्रतीक
वैसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो माथे पर आप दोनों भोंहों के बीच जहां आप तिलक लगाते हैं वो अग्नि चक्र कहलाता है.. यहीं से पूरे शरीर में शक्ति का संचार होता है। ऐसे में इस जगह टीका लगाने से ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है। तिलक में चावल लगाने का कारण यह है कि चावल को शुद्धता का प्रतीक माना गया है।
सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है
शास्त्रों के अनुसार, चावल को हविष्य यानी हवन में देवताओं को चढ़ाया जाने वाला शुद्ध अन्न माना जाता है। ऐसे में कच्चे चावल का तिलक में प्रयोग सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करने वाला होता है। इससे हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित होती है।
वैसे सनातन धर्म में कुमकुम के तिलक के साथ हल्दी, चंदन , भस्म आदी से तिलक का विधान है .. सभी तिलक के अपने –अपने लाभ भी हैं । चलिए आपको इस विषय में भी बताते हैं..
हल्दी का तिलक लगाने के फायदे
वैसे तिलक के रूप में हल्दी का भी प्रयोग किया जाता है क्योंकि हल्दी में एंटी बैक्टीरियल तत्व मौजूद होते हैं.. ऐसे में इसका तिलक लगाने से व्यक्ति कई तरह के रोगों से दूर रहता है।
चंदन का तिलक लगाने के फायदे
वहीं पूजा-पाठ करने वाले लोग खासकर साधु सन्यासी अपने माथे पर चंदन की टीका लगाते हैं.. जिसकी वजह ये है कि चंदन का टीका लगाने से मानसिक शांति मिलती है .. दरअसल माथे पर चंदन लगाने से दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्त्राव संतुलित तरीके से होता है। इससे व्यक्ति का मन मस्तिष्क शातं और खुशनुमा रहता है । ऐसे में मनुष्य अपना ध्यान सत कर्मों में लगाता है। साथ ही चंदन का तिलक लगाने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। वहीं ज्योतिष की माने तो चंदन का तिलक लगा कई सारे उग्र ग्रहों को शांत कर सकते हैं।
भस्म का तिलक लगाने का महत्व
वहीं कुछ साधु-सन्यासी राख से भी तिलक करते हैं, साथ ही कुछ मंदिरों में भी भस्म से तिलक किया जाता है । दरअसल अध्यात्मिक दृष्टि से भस्म के तिलक का विशेष महत्व होता है .. माना जाता है कि जैसे राख से अशुद्धियां साफ हो जाती हैं, उसी तरह से भस्म का टीका माथे पर लगाने से इंसान पापों से मुक्त होता है और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही ऐसी मान्यता है कि जो इंसान भस्म का तिलक धारण करता है उसका आकर्षण बढ़ता है, उसे समाज में उचित मान-सम्मान प्राप्त होता है।