वित्त मंत्रालय ने करीब साढ़े लाख पैन (परमानेंट अकाउंट नंबर या स्थायी खाता संख्या) रद्द कर दिए हैं. 10 अक्षरों व अंकों वाला पैन किसी भी व्यक्ति की एक तरह से वित्तीय पहचान है जिसके बगैर कई तरह के लेन-देन जैसे बैंक खाते (जनधन को छोड़कर) खुलवाने या शेयरों की खरीद-फरोख्त मुमकिन नहीं हो पाता. वहीं एक खबर ये भी है कि आयकर रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्या करीब 25 फीसदी बढ़ी है. वेतनभोगियों के लिए रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 5 अगस्त थी.
पैन
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, 27 जुलाई 2017 तक किसी व्यक्ति या संस्था के पास एक से ज्यादा पैन पाए जाने की वजह से कुल मिलाकर 11 लाख 44 हजार 2 सौ 11 ऐसे पैन रद्द किए गए. किसी भी व्यक्ति के लिए एक से ज्यादा पैन रखना कानूनन गलत है, लेकिन टैक्स बचाने और गलत तरीके से वित्तीय लेन-देन करने के लिए लोग एक से ज्यादा पैन बनवा लेते हैं. इसी को देखते हुए सरकार ने पैन को आधार से जोड़ने का फैसला किया है, क्योंकि किसी भी सूरत में एक व्यक्ति दूसरा आधार नहीं बनवा सकता. वजह ये है कि आधार में ऊंगलियों के निशान और आंखों की पुतलियों का रंग दर्ज कराना होता है जो हर व्यक्ति का दूसरे से अलग होता है. आधार से जोड़े जाने के बाद किसी भी व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पैन की पहचान हो सकेगी.
देश की करीब 90 फीसदी आबादी के पास है आधार !
31 जुलाई तक के आंकड़े बताते हैं कि देश मे कुल मिलाकर 32.68 करोड़ से भी ज्यादा पैन जारी किए जा चुके हैं. वहीं 12 अंकों वाले आधार की बात करें तो ये संख्या 116 करोड़ तक पहुंच चुकी है. मतलब देश की 90 फीसदी से भी ज्यादा आबादी के पास आधार हैं.
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मंत्रालय ने ये भी जानकारी दी कि 27 जुलाई तक कुल मिलाकर 1566 जाली पैन का भी पता चला. ये पैन ऐसे लोगों या संस्थाओं को जारी किए गए जिन्होंने गलत पहचान बतायी थी या फिर जिनका वजूद ही नहीं था. जाली पैन की पहचान करने के लिए पैन सेवा देने वाली कंपनियां जैसे एनएसडीएल या फिर यूटीआई इंफ्रास्ट्रक्चर टेक्नोलॉजी एंड सर्विसेज पैन आवेदन करने वालो के पते वगैरह की पड़ताल करती है. उन्ही की रिपोर्ट के आधार पर आयकर अधिकारी पैन को जाली करार देता है. दूसरी ओर एक व्यक्ति के पास एक से ज्यादा पैन पाए जाने की सूरत में भी आयकर अधिकारी ही उसे रद्द कर सकता है.
आयकर रिटर्न
इस बीच आयकर विभाग ने ऐलान किया है कि नोटबंदी के बाद काले धन के खिलाफ मुहिम का काफी अच्छा असर देखने को मिला. कुछ इसी का सबूत है कि वित्त वर्ष 2016-17 (असेसमेंट इय़र 2017-18) के लिए आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या करीब 25 फीसदी बढ़ी. पांच अगस्त यानी शनिवार तक करीब 2.83 करोड़ लाख रिटर्न दाखिल किए गए जबकि बीते साल ये संख्या 2.27 करोड़ के करीब थी. यानी नए रिटर्न भरने वालों की संख्या करीब 56 लाख बढ़ी.
नोटबंदी का असर कर से कमाई पर भी देखने को मिला. व्यक्तिगत आयकर के तहत अग्रिम कर से कम में कमाई करीब 42 फीसदी बढ़ी.
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