नोटबंदी के बाद से देश में कैश किल्लत होना मानो आम बात सी हो गई है. पिछले एक महीने में कई बार ऐसा सुनने को मिला कि कैश की किल्लत है. लेकिन, केंद्र सरकार और आरबीआई इस बात को नकारते रहे कि कैश की किल्लत है. आरबीआई के मुताबिक, सिस्टम में पर्याप्त मात्रा में नोट हैं और नोटों की छपाई भी बढ़ाई गई. हालांकि, 2000 रुपए के नोट को लेकर कहा गया कि इनकी छपाई फिलहाल रोक दी गई है. अब एक नई समस्या आम जनता के सामने आने वाली है. फिर से नोटबंदी हो सकती है. हालांकि, इस बार कोई नोट बंद नहीं हो रहा है. लेकिन, समस्या लगभग वैसी ही है. दरअसल, अब 100 रुपए के पुराने और मटमैले नोट की वजह से संकट गहरा सकता है.
क्यों होगी 100 रुपए की ‘नोटबंदी’
बैंकर्स का कहना है कि 100 रुपए के नए नोटों की संख्या और सप्लाई दोनों ही कम है. 200 और 2000 रुपए की तरह 100 रुपए के मूल्य वाले नोटों की सप्लाई कम है. टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, ऐसा इसलिए है क्योंकि 100 रुपए के अधिकतर नोट मटमैले हो चुके हैं और एटीएम में डालने लायक नहीं हैं. इनमें से कुछ नोट 2005 से भी पहले के हैं.
बैंकों ने RBI लगाई गुहार
बैंकर्स ने अपनी इस समस्या को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के सामने रखा है. उन्होंने कहा है कि आरबीआई को इस समस्या पर तुरन्त ध्यान देना चाहिए और एक्शन लेना चाहिए. बैंकर्स का मानना है कि अगर 100 रुपए के नए नोट बाजार में नहीं आते तो इससे 500 रुपए के नोट पर दबाव बढ़ेगा और लोग 500 के नोट की जमाखोरी करेंगे.
पर्याप्त नहीं है 100 रुपए के नोट
बैंकर्स के मुताबिक, नोटबंदी के वक्त आरबीआई ने 100 रुपए के नोटों की सप्लाई बढ़ी थी. नोटबंदी से पहले 2016-17 में 100 रुपए के 550 करोड़ पीस चलन में थे और आरबीआई ने इसे बढ़ाकर 573.8 करोड़ कर दिया था. लेकिन, यह पर्याप्त नहीं था. क्योंकि, 2000 रुपए के नोट आने के बाद से 100 के नोटों को इसके छुट्टे के रूप में ज्यादा इस्तेमाल हुआ. क्योंकि, उस वक्त 500 रुपए के नोट की सप्लाई काफी कम थी. वहीं, आरबीआई ने भी माना है कि 2015-16 में डिमांड के मुकाबले 44 करोड़ पीस की सप्लाई कम की गई थी. यह सभी पीस 100 रुपए के थे. ताजा आंकड़े आने में अभी वक्त है.
मटमैले नोट का इस्तेमाल बढ़ा
बैंकर्स के मुताबिक, नोटबंदी के बाद कैश की किल्लत को दूर करने के लिए 100 रुपए के मटमैले नोट का इस्तेमाल ज्यादा हुआ. उसके बाद से सिस्टम में यह नोट उपलब्ध हैं. अब बैंकों के लिए इन नोटों को संभालना भारी हो रहा है. क्योंकि, इन्हें बाजार में जारी करना और एटीएम में डालना दोनों की मुश्किल है. इसके अलावा, पिछले दो साल में 100 के नोट का डिस्पोजल करीब आधा हो गया है.
मटमैले नोटों का बड़ा हिस्सा मौजूद
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में 100 रुपए के 258.6 करोड़ पीस ही डिस्पोज किए गए. जबकि उससे पहले दो वित्त वर्ष में 510 करोड़ पीस से ज्यादा डिस्पोज किए गए थे. मतलब यह कि बाजार और चलन में मौजूद करेंसी में 100 रुपए के नोट का हिस्सा 10 फीसदी से बढ़कर 19.3 फीसदी हो गया. इनमें मटमैले नोट शामिल हैं.