कभी निजामों के शहर के रूप में पहचाने जाने वाले हैदराबाद की पहचान बदल रही है। अब उसे दुनिया का वैक्सीन कैपिटल भी कहा जाने लगा है। महाराष्ट्र की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में विख्यात पुणे में वैसे तो कई बड़ी औद्योगिक इकाइयां हैं, लेकिन कोरोना काल में वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ने उसकी पहचान का विस्तार कर दिया है। दुनियाभर में 60 फीसद से ज्यादा वैक्सीन की आपूर्ति करने वाले भारत के इन दोनों शहरों में स्थित कंपनियां कुल निर्यात में 75 प्रतिशत से अधिक का योगदान देने की क्षमता रखती हैं।
विश्व के प्रमुख शोधकर्ता भारतीय कंपनियों के संपर्क में : दुनियाभर में 180 से ज्यादा कोरोना वैक्सीन के विकास का काम चल रहा है। इनमें से करीब 25 वैक्सीन परीक्षण के अंतिम दौर में हैं। यानी उनका मनुष्यों पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन किया जा रहा है। दुनिया को विभिन्न बीमारियों से जुड़ी 60 फीसद वैक्सीन की आपूर्ति करने वाली भारतीय कंपनियां इस मामले में दक्ष हैं। उनकी तकनीक व मशीनें आधुनिक हैं। इसे देखते हुए कोरोना वैक्सीन के विकास में लगे शोधकर्ता व संस्थान उनके व्यावसायिक उत्पादन के लिए भारतीय व खासकर अहमदाबाद तथा पुणे की कंपनियों के संपर्क में हैं।
कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए अहमदाबाद व पुणे की कंपनियां कर रहीं तैयारी : कोरोना से मुक्ति पाने के लिए वैक्सीन के निर्माण में सफलता चाहे किसी भी देश को मिले, लेकिन यह तय है कि उसका व्यावसायिक उत्पादन भारत में ही होगा। इसके लिए हैदराबाद व पुणे की कंपनियां अपनी तकनीक व क्षमता को जरूरत के अनुरूप विकसित भी कर रही हैं। सैनोफी की वैक्सीन के अंतिम दौर का परीक्षण चल रहा है और वर्ष 2021 की पहली छमाही में उसके पूरा होने की उम्मीद है। उम्मीद की जा रही है कि वैक्सीन का व्यावसायिक उत्पादन हैदराबाद की शांता बायोटेक्निक्समें होगा। सैनोफी ने वर्ष 2009 में शांता बायोटेक्निक्स का अधिग्रहण किया था। हैदराबाद की ई लिमिटेड का टेक्सास के बायलोर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ वैक्सीन के विकास के लिए करार है, जबकि जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन के उत्पादन के लिए समझौता हुआ है। इंडिया इम्यूनोलॉजिकल लिमिटेड करीब दो करोड़ वैक्सीन निर्माण की क्षमता रखती है और वह ऑर्डर के आधार पर वैक्सीन निर्माण के लिए तैयार है। बताया जाता है कि कंपनी की रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 के व्यावसायिक उत्पादन के लिए बातचीत भी चल रही है। अर्रंवदो फार्मा नामक कंपनी भी कोरोना वैक्सीन के निर्माण में शामिल हो गई। उसने अनुसंधान से जुड़ी एक अमेरिकी कंपनी से करार किया है और मार्च 2021 तक वैक्सीन उत्पादन क्षमता से लैस होने का दावा करती है।
डेढ़ अरब से भी ज्यादा खुराक का उत्पादन कर सकती है पुणे की सीरम : पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। यह पोलियो, डिफ्थीरिया, टिटनस, बीसीजी, हेपेटाइटिस- बी अदि बीमारियों की वैक्सीन का निर्माण करती है। कंपनी 1.5 अरब वैक्सीन का वार्षिक उत्पादन कर सकती है। इसका दुनिया की पांच कंपनियों के साथ कोरोना वैक्सीन के उत्पादन के लिए करार है। इनमें एस्ट्राजेनेका और नोवावैक्स भी शामिल हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ने इन कंपनियों के साथ मिलकर एक अरब खुराक बनाने और 50 फीसद भारत में देने का वादा किया है। कंपनी रूसी वैक्सीन स्पूतनिक-5 के उत्पादन के लिए भी करार कर सकती है।