समाजवादी पार्टी में विवाद बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही सुधरने के भी कोई गुंजाइश नहीं दिख रही है।हीं बताया जा रहा है कि आज आखिरी दिन है अगर मामला नहीं सुलझता है तो अखिलेश और मुलायम सिंह खेमे अलग हो जाएंगे। साथ ही दोनों अलग अलग चुनाव भी लड़ सकते हैं। खबर तो यह भी है कि अगर दोनों खेमे अलग- अलग चुनाव लड़ते हैं तो मुलायम सिंह यादव खेमे की ओर से आजम खान सीएम उम्मीदवार होंगे।
वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी में चल रही कलह से अब उसके नेताओं को विधानसभा चुनावों में नुकसान का डर लगने लगा है। सपा नेताओं का मानना है कि अखिलेश यादव और मुलायम सिंह के बीच चल रही तनातनी से भाजपा फायदा उठा सकती है। साथ ही मुस्लिम मतों के भी बसपा के पाले में जाने की चिंता सता रही है।
सपा नेताओं ने बताया कि उनका यादव वोट जो कि उनका आधार है वह भी झगड़ा नहीं सुलझा तो मुलायम और अखिलेश में बिखर जाएगा। यहां पर भी भाजपा को नफा होगा। भाजपा पहले से ही गैर यादव ओबीसी मतों को अपने पाले में लाने में लगी है। सपा के वरिष्ठ नेता और राज्य कार्यकारिणी के सदस्य डॉ. जाहिद खान ने बताया कि पश्चिमी यूपी में मुसलमान डरे हुए और भ्रमित हैं। उन्हें पता नहीं है कि किस तरफ जाएं।
पिछले सप्ताह खान ने बरेली के बिठड़ी चैरनपुर में मीटिंग बुलाई थी। बकौल खान, ”लोगों ने मुझसे पूछा कि यह मीटिंग मुलायम के पक्ष की ओर से बुलाई गई है या अखिलेश की ओर से। यदि मुस्लिम किसी एक पार्टी के पक्ष में नहीं जुटे तो वे बसपा, कांग्रेस और सपा के धड़ों में बंट जाएंगे। इससे भाजपा को फायदा होगा। वरिष्ठ नेता मुश्ताक काजमी की भी यही चिंता है।
सपा के राज्य सचिव अशोक पटेल ओबीसी मतों के बिखराव को लेकर चिंता जताते हैं। उनका कहना है कि अगर पार्टी टूटी और चुनाव आयोग ने निशान जब्त कर लिया तो इससे ओबीसी वोट बंट जाएंगे। संभव है कि वे भाजपा की ओर चले जाएं। उनके अनुसार, ”सपा और बसपा का पूरा खेल मुसलमानों पर टिका है। यदि वे बसपा का साथ देंगे तो वह भाजपा के खिलाफ दावेदार होगी। यदि सपा के साथ आएंगे तो सत्ताधारी पार्टी भाजपा को चुनौती देगी।
भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दारा सिंह चौहान का मानना है कि पार्टी को यादव और गैर यादव दोनों का साथ मिलेगा। उन्होंने बताया कि गैर यादव पहले से ही भाजपा के साथ हैं। यादव सपा परिवार के झगड़े से परेशान हैं इसलिए वे भाजपा का साथ देंगे।