हल्द्वानी : मुआवजे के लिए परिजनों का एसटीएच से मोर्चरी तक हंगामा

हल्द्वानी में गोबर गैस के सेप्टिक टैंक की गैस से दंपती की मौत के बाद मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों ने पहले सुशीला तिवारी इसके बाद मोर्चरी में हंगामा काटा। परिजन पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की मांग कर रहे थे।

हल्द्वानी में गोबर गैस के सेप्टिक टैंक की गैस से दंपती की मौत के बाद मुआवजे की मांग को लेकर परिजनों ने पहले सुशीला तिवारी इसके बाद मोर्चरी में हंगामा काटा। परिजन पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने की मांग कर रहे थे। उधर गोशाला मालिक मुआवजा देने को तैयार नहीं थे।

मटरु और उसकी पत्नी की मौत के बाद परिजन पोस्टमार्टम न करने की मांग पर अड़े रहे। यहां तीन घंटे तक परिजनों ने जमकर हंगामा किया। वे मुआवजे न मिलने तक शव नहीं उठाने की मांग पर अड़ गए। परिजनों की गोशाला स्वामी से तीखी बहस भी हुई। इसके बाद पुलिस परिजनों को किसी तरह पोस्टमार्टम हाउस लेकर पहुंची। यहां शव का पंचनामा भर पोस्टमार्टम कराया गया। मौके पर मुआवजे की मांग को लेकर दोनों पक्षों में हंगामा हुआ। बताते हैं कि गोशाला मालिक डेढ़ लाख देने को तैयार हो गया लेकिन परिजन नहीं माने।

पुलिस ने दोनों को मुखानी थाने बुलाया
पुलिस ने मृतक के परिजनों और गोशाला मालिक को मुखानी थाने बुलाया। समाचार लिखे जाने तक दोनों पक्ष की मुखानी थाने में वार्ता चल रही थी। परिजनों ने दोनों का शव नहीं लिया था।

टैंक में गैस निकलने के लिए नहीं थी जगह
मौके पर मौजूद सेप्टिक टैंक भूसे के कमरे के नीचे बनाया गया था। टैंक की गैस निकलने के लिए कोई पाइप नहीं था। उधर टैंक का मुंह मात्र दो-दो फिट चौड़ा है। ऐसे में गैस बनना लाजिमी था।

सफाई निरीक्षक ने पहुंचाया अस्पताल
घटना की सूचना मुख्य सफाई निरीक्षक अमोल असवाल के पास पहुंची, तो वह निगम की गाड़ी के साथ पहुंचे। अमोल असवाल ने बताया कि कोई भी दंपती को अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं हुआ। इस पर उन्होंने अपनी गाड़ी से दोनों को अस्पताल भिजवाया।

सेप्टिक टैंक से निकलती है मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड
नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज कांडपाल बताते हैं कि सेप्टिक टैंक के कचरे व सीवरेज में बनने वाली गैस का प्रमुख घटक मीथेन और हाइड्रोजन सल्फाइड है जो उच्च सांद्रता में अत्यंत विषैली हो सकती है। गाय के गोमूत्र, गोबर के कारण भी ऐसी गैस बनती है। डॉ. कांडपाल बताते हैं कि मीथेन गैस के संपर्क में आने से आंखों में जलन, गले में खरांश, सांस की तकलीफ, खांसी और अधिकता से तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) प्रभावित हो सकता है। घुटन, सिरदर्द और चक्कर के साथ गैस की अधिकता फेफड़े और मस्तिष्क पर प्रभाव डालती है जो मृत्यु का कारण बन जाता है।

टैंक की सफाई के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

सेप्टिक टैंक की मैनुअल तरीके से सफाई या किसी अन्य कारण से खोलने पर आधा घंटा तक ढक्कन हटाकर इंतजार करना चाहिए। इसके बाद ही नीचे उतरें।

जहरीली गैस है या नहीं, इसकी जांच करने के लिए माचिस की जलती हुई तीली डालकर देखना चाहिए। अगर आग लग जाए तो समझ लें गैस है।

मैनहोल को खुला छोड़ने के बाद उसमें पानी का छिड़काव करना चाहिए।

सफाई के लिए उतरे कर्मचारी मुंह पर आक्सीजन मास्क और सेफ्टी बेल्ट जरूर लगाएं।

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