केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू को भाजपा हरियाणा में सिख चेहरे के रूप में स्थापित करने की तैयारी में है। रवनीत बिट्टू लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रवनीत बिट्टू कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
लुधियाना से लोकसभा चुनाव हार गए थे बिट्टू
बता दें कि आनंदपुर साहिब और लुधियाना से कांग्रेस के टिकट पर तीन बार सांसद रह चुके बिट्टू इस बार भाजपा के टिकट पर लुधियाना से लोकसभा चुनाव हार गए थे। कांग्रेस के राजा अमरिंदर सिंह वडिंग ने बिट्टू को करीब 20 हजार मतों के अंतर से चुनाव हराया था। लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद भाजपा ने मोदी सरकार में उन्हें केंद्रीय रेल राज्य मंत्री और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री के रूप में महत्व दिया।
गौरतलब है कि हरियाणा में राज्यसभा की एक सीट हाल ही में खाली हुई है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा रोहतक से लोकसभा चुनाव जीते, जिसके बाद उन्होंने राज्यसभा की सीट छोड़ दी। 90 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों के संख्या बल के आधार पर राज्यसभा सीट पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है। विपक्षी दल कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इनेलो के पास हालांकि एक साझा उम्मीदवार उतारने का विकल्प है, लेकिन किसी सर्वमान्य नाम पर तीनों राजनीतिक दल सहमत नहीं हो रहे हैं। जयहिंद सेना के संयोजक नवीन जयहिंद ने सभी विपक्षी दलों से अनुरोध किया है कि वे उन्हें साझा उम्मीदवार बनाएं, लेकिन किसी ने स्पष्ट रूप से हामी नहीं भरी है।
विपक्षी दलों में बिखराव के चलते इस सीट पर भाजपा की जीत तय मानी जा रही है। देश भर में चूंकि राज्यसभा की ज्यादा सीटें खाली नहीं हैं और हरियाणा चूंकि पंजाब से सटा राज्य है, इसलिए रवनीत बिट्टू को हरियाणा से राज्यसभा भेजकर भाजपा न केवल उनका केंद्रीय मंत्री पद बरकरार रखना चाहेगी, बल्कि हरियाणा में सिखों का भरोसा जीतने की भी कोशिश करेगी।