सीबीआई ने अपनी मांग में अदालत को सूचित किया कि उसने इस मामले में अब तक सात प्राथमिकियां दोबारा दर्ज की हैं और विस्तृत जांच प्रक्रिया प्रारंभ की है, जो अभी जारी है। जांच में कई ऐसे पहलू सामने आए हैं जिनकी गहराई से जांच आवश्यक है।
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के छह साल पूर्व जारी आदेश के बाद भी सीबीआई हरियाणा के सरकारी स्कूलों में कथित तौर पर करीब चार लाख फर्जी विद्यार्थियों के नाम पर सरकारी फंड की बंदरबांट की जांच पूरी नहीं कर पाई है। सीबीआई ने जांच के लिए कोर्ट से कुछ और समय की मांग की है। हाईकोर्ट ने चार महीने की मोहलत दी है। साथ ही हरियाणा के प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के महानिदेशक को निर्देश भी दिया है कि वे जांच प्रक्रिया में पूरा सहयोग करें और संबंधित दस्तावेज शीघ्रता से उपलब्ध कराएं।
जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश उस अर्जी के निपटारे के दौरान पारित किया जिसे सीबीआई ने इस मामले की जांच के संबंध में दायर किया था। सीबीआई ने अपनी मांग में अदालत को सूचित किया कि उसने इस मामले में अब तक सात प्राथमिकियां दोबारा दर्ज की हैं और विस्तृत जांच प्रक्रिया प्रारंभ की है, जो अभी जारी है। जांच में कई ऐसे पहलू सामने आए हैं जिनकी गहराई से जांच आवश्यक है। साथ ही भारी-भरकम आंकड़ों का विश्लेषण और समेकन भी करना है, जो एक समयसाध्य प्रक्रिया है। इसीलिए एजेंसी ने अदालत से अनुरोध किया कि उसे चार माह का अतिरिक्त समय दिया जाए। साथ ही प्रार्थना की गई कि प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के महानिदेशक को निर्देशित किया जाए कि वे जांच में पूर्ण सहयोग दें और आवश्यक दस्तावेज समय पर उपलब्ध कराएं।
हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि किसी भी व्यक्ति द्वारा जांच में बाधा उत्पन्न की जाती है, तो सीबीआइ को कानून के अनुसार उचित कदम उठाने की पूरी स्वतंत्रता होगी। सीबीआई ने अदालत से यह भी अनुरोध किया था कि वह रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दे कि वे शिक्षा विभाग तथा हरियाणा सरकार की ओर से दाखिल हलफनामों व अन्य दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराएं। इस पर न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इसके लिए सीबीआई को नियमानुसार रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष विधिवत आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
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