हरियाणा के 3000 सरकारी डॉक्टर हड़ताल पर, OPD स्वास्थ्य सेवाएं ठप्प…

हरियाणा में सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर आज सुबह 8 बजे से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस दौरान अस्पतालों में किसी मरीज की जांच नहीं हो रही, वहीं OPD भी ठप है। केवल आपात सेवाएं ही बहाल हैं। इनमें इमरजेंसी, ट्रॉमा सेंटर और पोस्टमार्टम हाउस चल रहे हैं।

बता दें कि हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन (HCMS) और स्वास्थ्य सचिव सुधीर राजपाल के बीच कई दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के बाद डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है। CM नायब सैनी ने अब इस मामले से निपटने के लिए मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर को काम पर लगाया है। आज 12 बजे खुल्लर ने एसोसिएशन के पदाधिकारियों को मीटिंग के लिए भी बुलाया है।

हरियाणा सिविल मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर राजेश खयालिया ने बताया कि उन्होंने दिसंबर में पूर्ण हड़ताल की थी। उस दौरान सरकार की तरफ से आश्वासन दिया गया था कि उनकी सभी मांगे जायज हैं उन्हें जल्दी लागू किया जाएगा। लेकिन आज 7 महीने बाद भी उनका नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि 8 जुलाई को 2 घंटे के लिए ओपीडी सेवाएं बंद की गई थी और तभी 25 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल का नोटिस भी दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद सरकार ने नोटिफिकेशन जारी नहीं किया, जिसके चलते डॉक्टर को मजबूरन हड़ताल पर जाना पड़ रहा है।

वही अपनी मांगों के समर्थन में संगठन के चार वरिष्ठ सदस्य आज से डीजी हेल्थ के सामने हंगर स्ट्राइक पर बैठ गए हैं। कल से प्रत्येक जिले से दो-दो डॉक्टर आकर इस जगह स्ट्राइक पर बैठेंगे। उन्होंने बताया कि तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की मंजूरी के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी विशेषज्ञों के लिए अलग कैडर बनाने को मंजूरी दे दी थी।विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए अलग कैडर बनाया जाए। दो साल पहले सीएम घोषणा भी कर चुके लेकिन लागू नहीं हुआ।

जानें क्या हैं मांगे

एसोसिएशन की मांग है कि सर्विस में रहते पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) करने के लिए एक-एक करोड़ रुपये के दो बांड भरने पड़ते हैं। पहले की तरह यह राशि 50 लाख रुपये की जाए। सीधी भर्ती न करके पदोन्नति के माध्यम से सीनियर मेडिकल ऑफिसर बनाए जाएं। हरियाणा में इस समय 71 सिविल अस्पताल, 120 सीएचसी, 407 पीएससी और 2727 सब सेंटर हैं। औसतन हर जिले में रोजाना दो हजार से अधिक मरीजों की सरकारी अस्पतालों में जांच की जाती है। इस हड़ताल से ओपीडी बंद रहने से प्रतिदिन औसतन करीब 50 हजार जरूरतमंद लोगों की जांच प्रभावित रहेगी।

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