हरिद्वार: वर्षों से निर्माणाधीन हरिद्वार-दिल्ली हाईवे राष्ट्रीय राजमार्ग-58 सुगम सफर की जगह मौत का रास्ता बनता जा रहा है। चारधाम यात्रा, पहाड़ों की रानी मसूरी घूमने और गंगा स्नान की चाह में हरिद्वार-ऋषिकेश आने वाले यात्रियों के लिए यह सुहाने सफर की जगह तमाम मौकों पर कब्रगाह बनता जा रहा है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले दो माह यानी दिसंबर 2017 और जनवरी 2018 में हरिद्वार जिले में हाईवे के गड्ढों में फंस कर 78 सड़क हादसों में 48 लोगों की मौत हो गई। जबकि 118 घायल हो गए। इनमें से 47 गंभीर रूप से घायल होकर जीवन भर के लिए अपाहिज हो गए, किसी का हाथ कटा तो किसी का पैर। इसी दौरान शहरी क्षेत्र की सड़कों पर बने गड्ढों से हुई 43 दुर्घटनाओं में नौ की जान चली गई, जबकि 56 घायल हो गए।
गड्ढों के कारण होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और मौतों का यह बड़ा आंकड़ा तब है, जब राज्य सरकार ने इस तरह के हादसों में संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों, सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार और अन्य संबंधितों के खिलाफ कार्रवाई की व्यवस्था कर रखी है। पर, यह व्यवस्था भी अन्य सरकारी घोषणाओं की तरह हवा-हवाई ही साबित हो कर रह गई।
पिछले दो माह में हुई सड़क दुर्घटनाओं और उनमें हुई मौत के लिए न तो किसी को जिम्मेदार माना गया और न ही किसी के खिलाफ अब तक कोई मुकदमा ही दर्ज हुआ। यहां तक कि इनमें मरने वालों के परिजनों और घायलों को आर्थिक मदद तक नहीं दी गई। सबसे अधिक दुर्घटनाएं गड्ढों में फंसने, गड्ढों से सावधान करने वाले और डायवर्जन सूचक के न होने और ऐसी जगह पर प्रकाश की मुकम्मल व्यवस्था न होने के कारण हुई।
पर, अब तक किसी ने भी जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की नहीं सोची। इन सड़क दुर्घटना में मरने वालों में बच्चे, बूढ़े, महिलाएं भी शामिल हैं। बावजूद इसके इन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए न तो प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और न ही हाइवे निर्माण करने वाली एजेंसी गंभीर हैं।
बहदराबाद-रुड़की मार्ग में भी गई कई की जान
बहदराबाद से रुड़की का रास्ता इस मामले में कुख्यात हो गया है। इसी तरह हरिद्वार में सिंहद्वार के पास निर्माणाधीन ओवरब्रिज के चलते जगह-जगह हुआ अधूरा निर्माण, खोदे गए गड्ढे व सड़क पर पड़ी निर्माण सामग्री रोज नई दुर्घटनाओं का सबब बन रही हैं। दूधाधारी चौक, भूपतवाला, शंकराचार्य चौक, प्रेमनगर आश्रम चौक, सिंहद्वार, गुरुकुल कांगड़ी मोड़, रानीपुर झाल, काली माता तिराहा बहादराबाद, बहदराबाद बाईपास पतंजलि, शांतरशाह, कोर कालेज तिराहा, कलियर मोड़, रुड़की मोड़, मंगलौर तिराहा, गुड़मंडी मोड़, नारसन तिराहा और नया बाईपास मोड़, जिन्हें प्रशासन ने भी सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से खतरनाक माना है।
नहीं है कोई स्वास्थ्य सुविधा
हरिद्वार के हिस्से में पडऩे वाले करीब 68 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र में आबादी वाले इलाकों को छोड़कर कहीं स्वास्थ्य सुविधा नहीं है। यहां तक कि दुर्घटना होने की स्थिति में घायलों को अस्पताल भेजने के लिए 108 या एंबुलेंस के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। दुर्घटना के समय सहायता के लिए आवश्यक नंबरों का हाईवे में कहीं भी प्रदर्शन नहीं किया गया है। ऐसे में बाहर से आए अनजान यात्री के लिए दुर्घटना के वक्त स्थानीय सहायता में काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। कई दफा तो सहायता के इंतजार में ही घायल दम तोड़ देते हैं।
ठंड शुरू होते ही बढ़ जाता है दुर्घटनाओं का ग्राफ
ठंड का मौसम शुरू होते ही हाईवे पर सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ बढ़ जाता है। जैसे-जैसे सड़क पर कोहरे का प्रकोप बढ़ता है, वैसे-वैसे दुर्घटनाओं का ग्राफ भी बढ़ता जाता है। कोहरे के समय हाईवे का अधूरा निर्माण, खुदे हुए गड्ढे, बिना चेतावनी बोर्ड के डायवर्जन और जगह-जगह अधूरे पड़े पुल और पुलिया सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में और इजाफा कर देते हैं।