जैसे-जैसे ईरानी सुप्रीम कमांडर की मौत के दिन बीत रहे हैं वैसे-वैसे इससे जुड़ी अन्य जानकारियां सामने आ रही हैं। इस मामले में अब एक नई जानकारी सामने आई है, वो ये है कि अमेरिका ने उसी दिन यमन में ईरानी कमांडर अब्दुल रजा शहलाई को भी निशाना बना रखा था मगर शहलाई किसी वजह से बच गया।
पेंटागन के अधिकारियों ने बताया कि उनके ड्रोनों को उस दिन दो टारगेट दिए गए थे जिसमें एक में वो कामयाब रहे मगर दूसरा प्लान उस हिसाब से नहीं चल पाया।
जिसकी वजह से अब्दुल रजा बच गया। अब्दुल रजा इस क्षेत्र में आतंकवादियों के वित्तपोषण के लिए क्वाड फोर्सेज का शीर्ष फाइनेंसर है। इस खुलासे के बाद ईरान में हडकंप मचा हुआ है।
पेंटागन के अधिकारियों ने अमेरिकी सेना का ईरान में दो जगहों पर गुप्त सैन्य अभियान चल रहा था। एक ड्रोन से सुलेमानी की मूवमेंट पर नजर रखी जा रही थी जबकि दूसरे से यमन में एक दूसरे अधिकारी पर नजर थी।
ये गुप्त मिशन था जिसमें से एक में कामयाबी मिली मगर दूसरा मिशन टारगेट लाइन पर न आने की वजह से कामयाब नहीं हो पाया। यदि दूसरा मिशन भी कामयाब हो जाता है ईरान का प्रमुख कमांडर और फाइनेंसर दोनों एक साथ खत्म हो जाते।
अब्दुल रजा शहलाई का जन्म 1957 में हुआ है। उसको शुरू से ही अमेरिका के खिलाफ माना जाता है। बताया गया है कि साल 2007 में एक हमले के दौरान 5 अमेरिकी सैनिकों को अगवा कर लिया था और उन्हें मार डाला था। इसी वजह से विदेश विभाग ने शहलाई के बारे में सूचना देने के लिए 15 मिलियन डॉलर का इनाम देने की घोषणा की थी।
घोषणा में कहा गया है कि अब्दुल रजा शहलाई यमन में है और इसका अमेरिकी सैनिकों और अमेरिकी सहयोगियों को निशाना बनाने वाले हमलों में शामिल है।
उसका इसमें लंबा इतिहास है। इसके अलावा वो 2011 में वाशिंगटन में एक इतालवी रेस्तरां में सऊदी राजदूत के खिलाफ साजिश में भी शामिल रहा है। शहलाइ का ऑपरेशन का आधार सना, यमन में है। वहां वह ईरान के शिया छद्म बलों के समर्थन के साथ-साथ क्वाड फोर्सेस के प्रमुख फाइनेंसर के रूप में कार्य करता है।
ट्रम्प ने एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें उनके प्रशासन द्वारा पहले से तय की गई लंबी सूची में अतिरिक्त अमेरिकी प्रतिबंधों को जोड़ते हुए, ईरान को एक नए समझौते को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने का लक्ष्य रखा गया, जो उसके परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाएगा और पूरे मध्य पूर्व में आतंकवादी समूहों के समर्थन को रोक देगा।