बेटी की हत्या के कलंक को लेकर जेल में बंद तलवार दंपती रिहा होने के बाद नोएडा का घर ही नहीं बल्कि एनसीआर भी छोड़ सकते हैं। जेल में रहने के दौरान उन्होंने कई बार इस बात का जिक्र किया कि रिहा होने के बाद वह किसी ऐसी जगह पर जाकर रहेंगे, जहां उन्हें कोई पहचाने ही नहीं। इससे उन्हें किसी अपने को कोई जवाब भी नहीं देना पड़ेगा।दरअसल, 26 नवंबर 2013 में विशेष सीबीआई कोर्ट ने तलवार दंपती को बेटी के हत्या के आरोप में दोषी ठहराया था। इसके बाद से ही दोनों डासना जेल में बंद हैं। जेल के साथी कैदियों की मानें तो कई रातें उन्हें जेल में नींद ही नहीं आई। वह बस एक ही बात कहते थे कि जिस बेटी को उन्होंने नाजों से पाला, पलकों पर बिठाकर रखा, उसकी हत्या वह कैसे कर सकते हैं। सीबीआई की एक मनगढ़ंत कहानी पर उन्हें सजा कैसे दी जा सकती है।
बीते बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट से उन्हें रिहा करने का आदेश आने के बाद भी तलवार दंपती का यही कहना था कि जिस आरोप में उन्हें चार साल जेल में बिताने पड़े, उन आरोपों के दर्द से खुद को बाहर निकालने में कई साल लगेंगे।
सूत्रों की मानें तो राजेश और नूपुर के बीच बृहस्पतिवार शाम हुई बातचीत में भी दोनों के रोने की वजह यह थी कि वह अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को कैसे समझाएंगे कि उन्होंने बेटी की हत्या नहीं की। उनके चरित्र पर जिस तरह के आरोप लगे उनका जवाब अपनों को कैसे दे सकेंगे।
मनोचिकित्सक डा. हिमांशु पांडेय ने बताया कि अगर किसी निर्दोष पर हत्या जैसे आरोप लगते हैं और बाद में उसे रिहा किया जाता है तो उसके लिए उन आरोपों से खुद को बाहर निकालना बेहद मुश्किल होता है। आरोपों के बाद जेल में सिर्फ शारीरिक प्रताड़ना ही नहीं बल्कि मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ता है। इससे निकलने में राजेश और नूपुर को कई माह का समय लगेगा।
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क्या बेटी को इंसाफ दिलाने सुप्रीम कोर्ट जाएंगे राजेश-नूपुर
हाईकोर्ट से अपने ऊपर लगे आरोप गलत साबित होने के बाद अब सवाल यह उठ रहा है कि राजेश और नूपुर बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे या नहीं। हालांकि तलवार दंपती के करीबियों की मानें तो बेटी के इंसाफ की लड़ाई के दौरान खुद पर ही लगे आरोपों के चलते अब वे सुप्रीम कोर्ट जाने से पहले कई बार सोचेंगे।