एमआइटी में चल रही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चार दिवसीय प्रांतीय कार्यकारिणी के अंतिम दिन मकर संक्रांति उत्सव मनाया गया। इसमें बड़ी संख्या में प्रचारकों के साथ कार्यकर्ता भी जुटे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में दुनिया अपार संभावनाएं देख रही है और हम भारत को विश्व गुरु बनाने का सपना। भारत को विश्व गुरु बनाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं।
दस दिशाओं में जाकर स्वयंसेवक समाज में फैली छुआछूत, ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाने में जुटे हुए हैं। हमारी संस्कृति एक है। किसी भी प्रांत की कोई भाषा, कोई संस्कृति हो, लेकिन धर्म एक ही है वह हैं हिंदू। संघ में जातिवाद और छूआछूत को नहीं माना जाता, सभी समान हैं।
हमारा धर्म शाश्वत है। यह एक संस्कृति वाला देश है और उस संस्कृति को मानने वाला हर व्यक्ति भारतीय है। एक सौ तीस करोड़ की जनता पर इसी संस्कृति का प्रभाव है, इसीलिए दुनिया कहती है कि यह भारतीय संस्कृति है। इसी संस्कृति के कारण ही दुनिया में भारत की अलग पहचान बनी है।
दुनिया में कोई ऐसी जगह नहीं है जहां सभी मिल-जुलकर रहते हैं। आगे बढ़ो मिलजुलकर चलो, समाज को ऊपर उठाने वाले विचार का आचरण ही हिंदू धर्म है। हमारे प्रांत अलग हैं, भाषा अलग है, लेकिन संस्कृति एक है। हमारा आध्यात्म ही हमारी पहचान है, जो बताता है कि हमारा रहने का तरीका अलग हो, लेकिन हम सभी एक हैं।
हमें अलगता के भ्रम को दूर करना है। दुनिया कहती है, विविधता में एकता है, हम कहते हैं, एकता में विविधता हैं। हमें उस एकता को पाना है। सब कुछ उसी में मिलेगा। इसी के बाद देश परम वैभव को प्राप्त करेगा और भारत विश्व गुरु बनेगा। भारत वर्ष में तथागत बुद्ध के बाद यह पहली बार हो रहा है, जब छुआछूत और भेदभाव को मिटाने के लिए काम कर रहे हैं।
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