स्मॉग की मार से परेशान दिल्ली-एनसीआर, अब पलूशन पर वार करेगी H-CNG

स्मॉग की मार से परेशान दिल्ली-एनसीआर, अब पलूशन पर वार करेगी H-CNG

स्मॉग की मार से परेशान दिल्ली-एनसीआर को अब वाहनों से निकलने वाले धुएं से परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसके लिए इंडियन ऑयल के रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट (आरएंडडी) सेंटर ने एक नया फ्यूल H-CNG तैयार किया है, जो 18 प्रतिशत हाइड्रोजन और सीएनजी को मिलाकर तैयार किया गया है। बता दें कि इंडियन ऑयल करीब 4 साल से इस फ्यूल का परीक्षण कर रहा था, जो सफल रहा है। अब इस ईंधन को दिल्ली के 2 बस डिपो में इस्तेमाल करके परखा जाएगा। इंडियन ऑयल का दावा है कि इस फ्यूल से न तो वाहन के इंजन पर खराब असर पड़ेगा और प्रदूषण भी कम होगा।स्मॉग की मार से परेशान दिल्ली-एनसीआर, अब पलूशन पर वार करेगी H-CNG

आरएंडडी सेंटर के डायरेक्टर डॉ. एस. एस. वी. रामाकुमार ने बताया कि नैचुरल गैस से सीधे H-CNG बनाने में कामयाबी मिल गई है, जिसमें हाइड्रोजन की मात्रा 18 प्रतिशत है। अब इसे प्रयोगशाला से निकालकर व्यावसायिक गाड़ियों में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे पता चलेगा कि कितनी लागत आती है। डॉ. रामाकुमार ने बताया कि कई साल से हाइड्रोजन से वाहन चलाने का प्रयोग चल रहा है और इसके सफल होने की पूरी उम्मीद है। हालांकि हाइड्रोजन की उपलब्धता और इसकी कीमत सबसे बड़ी चुनौती है। इसके चलते सेंटर में करीब 4 साल पहले हाइड्रोजन और सीएनजी को मिलाकर नया फ्यूल तैयार करने का प्रयोग शुरू किया गया। हाइड्रोजन की कीमत और कम उपलब्धता देखते हुए सीएनजी में इसकी मात्रा सिर्फ 18 प्रतिशत रखी गई है और H-CNG बनाने में कामयाबी मिल चुकी है। वहीं, इंडियन ऑयल ने इसका पेटेंट भी करा लिया है।

 उन्होंने बताया कि करीब 2 साल तक ऑटो और बस में इसका प्रयोग चल रहा था, जो सफल रहा। इससे किसी भी वाहन के इंजन पर खराब प्रभाव नहीं पड़ा। साथ ही, सबसे बड़ा फायदा यह मिला कि इससे 30 से 35 प्रतिशत कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन प्रदूषण कम हुआ। सीएनजी वाहन की जो औसत आयु होती है, इस फ्यूल को इस्तेमाल करने से भी वह उतनी ही रहेगी। डॉ. रामाकुमार के मुताबिक, अब H-CNG को दिल्ली के 2 बस डिपो में इसे उपलब्ध कराया जाएगा, जिसके लिए बातचीत चल रही हैं। उम्मीद है कि इससे दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी। 
 
 

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