देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने सेना के तीनों अंगों में सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने के संकेत दिए हैं। जनरल रावत ने कहा कि वह विभिन्न हथियारों और सेवाओं की परिचालन आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तीनों सेनाओं में सेवानिवृत्ति की उम्र में बढ़ोतरी के माध्यम से पेंशन मैनेजमेंट को ज्यादा प्राथमिकता देंगे। साथ ही अधिग्रहण और अन्य आवश्यकताओं के लिए अपनी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देंगे।
रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी को लेकर हो रही आलोचना के बीच जनरल रावत ने रविवार को सरकार का बचाव किया। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट पर चिंता की कोई बात नहीं है, अगर अतिरिक्त बजट की जरूरत महसूस होती है तो हम सरकार से संपर्क करेंगे। उन्होंने ने कहा, ‘हथियारों व सेवाओं की परिचालन आवश्यकताओं के मद्देनजर सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है। हम अधिग्रहण व अन्य जरूरतों के लिए अपनी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देंगे।
उन्होंने कहा, इसके बाद अगर फंड की कमी महसूस होती है तो सरकार को इससे अवगत कराया जाएगा। इसको लेकर चिंता की कोई बात नहीं। सीडीएस होने के नाते मेरे लिए ये जरूरी है कि तीनों सेवाओं के संतुलित आधुनिकीकरण को ध्यान में रखते हुए उपकरणों की खरीद को प्राथमिकता दी जाए।’ उन्होंने कहा कि सेना को धनराशि जुटाने के लिए रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अन्य संसाधनों पर गौर करना चाहिए। इससे हथियारों की खरीद पर खर्च में कमी आएगी।
एक फरवरी को लोकसभा में पेश आम बजट में सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए रक्षा बजट में 3.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। पिछले बजट में 3.18 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। सेना के तेजी से आधुनिकीकरण के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन पिछले रक्षा बजट की तुलना में इस बार बढ़ोतरी मात्र 5.63 फीसदी है। इसको लेकर सरकार की आलोचना हो रही है।
वहीं, लेफ्टिनेंट जनरल गंभीर सिंह नेगी ने कहा कि मोदी सरकार से जो उम्मीद की जा रही थी, उसके मुताबिक रक्षा बजट नहीं बढ़ाया गया है। चीन, अमेरिका जैसे देश आज अपने रक्षा क्षेत्र पर जीडीपी का एक बड़ा हिस्सा खर्च करते हैं। यहां भी इसकी काफी जरूरत है।
उनका मानना है कि जीडीपी का कम से कम दो प्रतिशत बजट रक्षा क्षेत्र पर खर्च होना ही चाहिए। कम बजट से सेना का आधुनिकीकरण और हथियार खरीद की प्रक्रिया प्रभावित होती है। लेफ्टिनेंट जनरल राम प्रधान कहना है कि रक्षा मंत्री ने देश की मजबूती के लिए पांच पिलर पर ध्यान दिया है। इनमें रक्षा क्षेत्र भी शामिल है।
भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए हो रही रक्षा उपकरणों व हथियारों की खरीद पर रक्षा बजट में हुई मामूली वृद्धि का असर पड़ सकता है। शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2020-21 में भारतीय सेना के तीनों अंगों के लिए 3.37 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव रखा। यह वर्ष 2019-20 में किए प्रावधान से जहां 5.8 प्रतिशत अधिक है, वहीं संशोधित अनुमान के मुकाबले इसमें केवल 1.9 प्रतिशत ही वृद्धि दर्ज की गई है।
रक्षा बजट में मिले 3.37 लाख करोड़ रुपये में से करीब 1.18 लाख करोड़ यानी 35 प्रतिशत राशि ही शुद्ध रूप से आयुध, सैन्य उपकरणों, साजो सामान, आदि की खरीद, रिपेयर व देखरेख पर खर्च होंगे। इसी में आधुनिकीकरण भी होगा। रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाली सेवाओं, संगठनों और विभागों द्वारा यह खर्च किए जाएंगे। बीते बजट अनुमान में यह राशि 1.08 लाख करोड़ थी, जो संशोधित अनुमान में 1.15 करोड़ कर दी गई। यानी इस वर्ष बजट अनुमान से 10 हजार करोड़ और संशोधित अनुमान से तीन हजार करोड़ रुपए के करीब इजाफा ही हुआ है।
वित्त वर्ष 2020-21 में बाकी 2.19 लाख करोड़ रुपये यानी 65 प्रतिशत सेना के वेतन-भत्तों व अन्य ढांचागत कार्यों पर खर्च होंगे। इसका असर कई प्रकार की रक्षा खरीद पर असर हो सकता है। खुद रक्षामंत्री रह चुकीं सीतारमण ने अपने भाषण में रक्षा बजट पर जिक्र नहीं किया। दूसरी ओर 2019-20 के बजट में रक्षा बजट 7.9 प्रतिशत बढ़ाया गया था। ऐसे में सेना के तीनों अंगों द्वारा की जा रही खरीद और आधुनिकीकरण में नव गठित चीफ और डिफेंस स्टाफ के पद केजरिए कड़े समन्वय की जरूरत होगी।
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