कई लोगों का ये मानना है कि स्कूलों में बच्चों को पॉर्नोग्राफी और सेक्सटिंग के असर के बारे में बताया जाना चाहिए।
ब्रिटेन में गैर सरकारी संगठन ‘प्लान इंटरनैशनल यूके’ का दावा है कि 75 फीसदी लोग पॉर्न के असर को सिलेबस में अनिवार्य तौर पर शामिल कराना चाहते हैं।
हालांकि संगठन ने अपने सर्वे के हवाले से ये भी कहा है कि सात फीसदी लोग इसके खिलाफ हैं।
2000 हजार व्यस्क लोगों पर किए गए इस सर्वे में 71 फीसदी लोगों ने ये माना कि बच्चों को सेक्सटिंग से जुड़ा सबक भी सिखाया जाना चाहिए।
सेक्स के बारे में की जाने वाली चैटिंग को सेक्सटिंग कहा जाता है।
कई देशों में दी जा रही है यौन शिक्षा
ब्रिटेन के शिक्षा मंत्री जस्टिन ग्रीनिंग ने इस पर कहा कि वह इस मुद्दे पर विचार कर रही हैं, लेकिन क़ानून में किसी तरह का कोई बदलाव फिलहाल प्रस्तावित नहीं है।
‘प्लान इंटरनैशनल यूके’ की चीफ़ तान्या बैरोन ने बच्चों की ऐसी शिक्षा का आह्वान किया जो 21वीं सदी की हकीकतों को दिखलाती हो।
जीन्स पहनने वाली लड़कियों को पानी में डुबो कर मार देना चाहिए”
ब्रिटेन में फिलहाल 11 साल से ऊपर के बच्चों को यौन शिक्षा अनिवार्य रूप से दिए जाने के प्रावधान है।
लेकिन इसके बावजूद बहुत से स्कूल नेशनल सिलेबस को लागू करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
स्कॉटलैंड, वेल्स और आयरलैंड के सेकेंडरी स्कूलों में सेक्स के बारे में पढ़ाया जाता है, लेकिन इसके लिए उनके अपने दिशानिर्देश हैं।
यहां मां-बाप चाहें तो अपने बच्चों को इन क्लासेस से दूर रख सकते हैं।