राजस्थान का प्रसिद्ध शहर पुष्कर धार्मिक और पौराणिक कथाएं दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस तीर्थस्थल का उल्लेख कई धर्मग्रंथों में मिलता है। अनेक लोगों का मानना है कि चार धामों के दर्शन करने के बाद अगर कोई श्रद्धालु पुष्कर तालाब में स्नान न करे तो उसका सारा पुण्य नष्ट हो जाता है।
त्रिदेव में होती है ब्रह्मा की गणना…
पुष्कर तीर्थ की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूरे भारत में सृष्टि के रचयिता श्री ब्रह्मा का यह इकलौता मंदिर है। उल्लेखनीय है कि ब्रह्मा की गणना ‘त्रिदेव’ में होती है। सृष्टि के निर्माता, पालनकर्ता और संहारक भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश यानी शिव को त्रिदेव माना जाता हैं।
इस मंदिर से जुड़ी है कई पौराणिक कथाएं…
भगवान विष्णु और शिव के पूरी दुनिया में कई विख्यात मंदिर हैं, लेकिन भगवान ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर पुष्कर में होना रहस्य की बात है। भगवान ब्रह्मा का पूरी दुनिया में एकमात्र मंदिर यहां होने के पीछे कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं, उनमें से एक यहां पढ़ें।
क्या उल्लिखित है पुराणों में…
पुराणों के अनुसार, एक बार ब्रह्मा हाथ में पद्म (कमल) का पुष्प लिए हुए अपने वाहन हंस पर सवार होकर अग्नि यज्ञ करने के लिए उपयुक्त स्थान की खोज कर रहे थे, तभी एक स्थान पर उनके हाथ से पद्म गिर गया। पुष्प के धरती पर गिरते ही वहां एक झरना बन गया और उस झरने से तीन सरोवर बने। जिन जगहों पर वो तीन सरोवर बने उन्हें ब्रह्म पुष्कर, विष्णु पुष्कर और शिव पुष्कर कहा गया। यह देखकर ब्रह्मा जी ने उसी स्थान पर यज्ञ करने का निर्णय लिया।
…तो इस प्रकार नामकरण हुआ नगर का
इस जगह का नाम पुष्कर पड़ने का कारण है इसके अर्थ में निहित है। पुष्कर शब्द का अर्थ होता है- पुष्प से बना सरोवर (तालाब या झील)। पुष्कर को मंदिरों और घाटों की नगरी भी कहा जाता हैं। कहते इस छोटे से नगर में लगभग 400 मंदिर और 52 घाट हैं, जिनका निर्माण समय-समय पर अनेक राजाओं ने करवाया था। लेकिन सबसे आश्चर्य यह कि पुष्कर शहर में पुष्कर नाम का कोई मंदिर नहीं है।
इस प्रकार यज्ञ पूरा किया ब्रह्मा ने…
यज्ञ में ब्रह्मा के साथ उनकी अर्धांगिनी (पत्नी) का होना जरुरी था। उनकीअर्धांगिनी सावित्री वहां नहीं थी और शुभ मुहूर्त निकला जा रहा था। इस कारण उन्होंने उस समय वहां की एक सुंदर स्त्री के विवाह करके उसके साथ यज्ञ संपन्न कर लिया। जब यह बात देवी सावित्री को पता चली तो उन्होंने क्रोधित होकर भगवान ब्रह्मा को यह शाप दे दिया कि जिसने सृष्टि की रचना की पूरी सृष्टि में उन्हीं की अन्य कहीं पूजा नहीं की जाएगी। पुष्कर को छोड़ कर पूरे विश्व में भगवान ब्रह्मा का कहीं कोई मंदिर नहीं होगा। इसी शाप की वजह से ब्रह्माजी का एकमात्र मंदिर पुष्कर में है।