भागलपुर/पटना. 1000 करोड़ रुपए के सृजन घोटाला मामले में बिहार सरकार को घेरने के लिए राजद प्रमुख लालू यादव अपने दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव के साथ आज 12 बजे से भागलपुर के सैंडिस मैदान में रैली करने वाले हैं। इस सभा में लालू ‘सृजन के दुर्जनों की विसर्जन यात्रा’ शुरू करेंगे।
लालू की जनसभा के लिए सैंडिस मैदान को राजद के झंडा और बैनर से पाट दिया गया है। गौरतलब है कि लालू पहले भागलपुर के सबौर में सभा करना चाहते थे। सबौर में ही सृजन का ऑफिस है और यहीं से घोटाला हुआ है। भागलपुर प्रशासन ने सबोर की जगह सैंडिस मैदान में लालू को सभा करने की अनुमति दी है।
क्या है सृजन घोटाला
– सृजन महिला विकास सहयोग समिति की स्थापना 1996 में हुई। कहने के लिए संस्था ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, नैतिक, शैक्षणिक विकास के लिए काम करती है। इसका कार्यक्षेत्र भागलपुर जिले के सबौर, गोराडीह, कहलगांव, जगदीशपुर, सन्हौला समेत 16 प्रखंडों तक फैला है।
– इसका उद्देश्य संगठनात्मक कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्वरोजगार, बचत व साख, उत्पादन व मार्केटिंग, साक्षरता, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करना था, लेकिन संस्था इसकी आड़ में सरकारी फंड का बैंक की मिलीभगत से अपने खाते में लाकर उसका दुरुपयोग कर रही थी।
– सृजन NGO को चलाने वाली घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी का निधन फरवरी 2017 में हो गया। मनोरमा की मौत के बाद उनकी बहू प्रिया और बेटा अमित कुमार इस घोटाले में शामिल हो गए।
ऐसे होता था सरकारी फंड का दुरूपयोग
– जिला प्रशासन का अलग-अलग बैंकों में योजनावार खाता संचालित होता है। इन खातों में संबंधित योजना का फंड जमा रहता है, लेकिन बैंक, जिला प्रशासन और सृजन के गठजोड़ के कारण इन योजनाओं की जमा राशि को सरकारी खाते से निकाल कर उसे सृजन के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था।
– सृजन इन पैसों को अलग-अलग लोगों को दे देती थी, जिसके सहारे कई लोगों ने शहर में बड़ा रोजगार खड़ा कर लिया, शोरूम खोले और होटल तक बना लिया।
– सरकारी खातों से पैसे निकल जाने के बाद भी खातों में बैलेंस जस का तस बताया था। सरकारी योजना से संबंधित बैंक खाते को अपडेट करने के लिए प्रिंटिंग प्रेस के संचालक ने फर्जी तरीका अपनाया था।
– प्रेस में खातों को अपडेट करता था, जिससे उसमें हमेशा बैलेंस जस का तस दिखता था, जबकि हकीकत में ये पैसे सृजन के जरिए बाजारों में लगे रहते थे। जिला प्रशासन को जब फंड के पैसे की जरूरत होती तो सृजन से पैसा सरकारी बैंक अकाउंट में डाल दिया जाता।
– फरवरी माह में सृजन की सचिव मनोरमा देवी का अचानक निधन हो गया। इसके बाद कई लोगों ने उनके पैसे हड़प लिये। मनोरमा ने हाथों हाथ कई लोगों को सरकारी योजनाओं का पैसा स्वरोजगार के लिए उपलब्ध कराया था।
– अचानक बैंक से योजनाओं के पैसे की मांग होने लगी। वर्तमान सृजन की सचिव प्रिया कुमार बैंकों को पैसे दे नहीं पाई तो इस गोरखधंधे का राज खुल गया।
– सीबीआई इस घोटाले की जांच कर रही है।
यूं ही नहीं सृजन के इशारे पर नाचते थे अफसर
– अफसर सृजन के इशारे पर यूं हीं नहीं नाचते थे। मनोरमा देवी ने सृजन के सृजनहारों को तैयार करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए। अफसरों की लॉबी तैयार करने के लिए वह अधिकारियों उनकी पत्नियों को महंगे जेवरात और सोने के सिक्के गिफ्ट करती थी।
– सिर्फ इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से ही उसने करीब 60 लाख रुपए के सोने के सिक्के खरीदे थे। इसके अलावा पटना-दिल्ली समेत अन्य बड़े शहरों की ज्वेलरी दुकानों से भी गहनों की खरीदारी की। अब सीबीआई के साथ इनकम टैक्स विभाग भी उपहार में जेवर लेने वाले अफसरों की कुंडली खंगाल रही है।