सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन की मांग वाली याचिका को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज की..

सुप्रीम कोर्ट ने लिव-इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाने की मांग वाली याचिका को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दी। याचिका में श्रद्धा और निक्की यादव हत्याकांड का हवाला दिया गया और कहा गया कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने लिव इन संबंधों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था बनाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने इसे अव्यवहारिक बताया। याचिका में श्रद्धा वालकर और निक्की यादव हत्याकांड का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि गोपनीय तरीके से चल रहे ऐसे संबंध लगातार जघन्य अपराध की वजह बन रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने केंद्र के साथ हर लिव-इन संबंध के पंजीकरण के लिए मानदंड तय करने की मांग वाली जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया और इसे एक ‘‘बिगड़ैल’’ विचार करार दिया।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता वकील ममता रानी से पूछा कि क्या वह इन लोगों की सुरक्षा को बढ़ावा देना चाहती हैं या चाहती हैं कि वे लिव-इन रिलेशनशिप में न आएं। वकील ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता चाहता था कि उनकी सामाजिक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए रिश्ते को पंजीकृत किया जाए।

पीठ ने कहा,  “लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण से केंद्र का क्या लेना-देना है? यह किस प्रकार का पागल विचार है? इस तरह की जनहित याचिकाएं दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाने का यह सही समय है। याचिका को बर्खास्त किया जाता है।” पीठ में जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला भी शामिल हैं।

रानी ने जनहित याचिका दायर कर केंद्र को लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के लिए नियम बनाने का निर्देश देने की मांग की थी, क्योंकि इसमें लिव-इन पार्टनर द्वारा कथित रूप से किए गए दुष्कर्म और हत्या जैसे अपराधों में वृद्धि का हवाला दिया गया था।

हाल ही में कथित तौर पर अपने लिव-इन पार्टनर आफताब अमीन पूनावाला द्वारा श्रद्धा वालकर की हत्या का हवाला देते हुए याचिका में इस तरह के रिश्तों के पंजीकरण के लिए नियम और दिशानिर्देश तैयार करने की भी मांग की गई है।

जनहित याचिका में कहा गया है कि लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण से दोनों लिव-इन पार्टनर्स को एक-दूसरे के बारे में और सरकार को भी उनकी वैवाहिक स्थिति, आपराधिक इतिहास और अन्य प्रासंगिक विवरणों के बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध होगी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com