उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भारत रत्न दिए जाने के लिए केंद्र सरकार को आदेश जारी करने से मना कर दिया। याचिका में मांग की गई थी कि अदालत महत्मा गांधी को भारत रत्न देने के लिए केंद्र सरकार को आदेश या निर्देश दे।

मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एसए बोबडे ने इससे इनकार करते हुए कहा कि बापू राष्ट्रपिता हैं। उनका सम्मान होना जरूरी है। मगर लोगों के मन में वह भारत रत्न से कहीं ज्यादा ऊपर हैं। उन्हें इस तरह की किसी आधिकारिक पहचान की आवश्यकता नहीं है।
इससे पहले साल 2012 में कर्नाटक उच्च न्यायालय में भी महात्मा गांधी को भारत रत्न देने के लिए याचिका दायर दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई थी कि अदालत गृह मंत्रालय को निर्देश दे कि वह महात्मा गांधी को भारत रत्न देने के लिए विचार करे।
साल 2014 में अदालत को याचिकाकर्ता के वकील ने बताया था कि गृह मंत्रालय से सूचना का अधिकार के जरिए जो जानकारी मिली है उसके अनुसार गांधीजी को कई बार भारत रत्न देने की अपील की गई है।
इन मांगों को प्रधानमंत्री कार्यालय के पास भी भेजा गया था। वकील ने कहा था कि सरकार ने महात्मा गांधी को भारत रत्न देने की मांगों पर कोई फैसला नहीं लिया है।
जिसपर उच्च न्यायालय ने कहा था कि शायद सरकार सचिन तेंदुलकर के साथ महात्मा गांधी को खड़ा नहीं करना चाहती है। पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि वह इसमें दखल नहीं दे सकती है।
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