सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मस्जिद निर्माण के लिए सरकारी जमीन की तलाश तेज हो गई। सदर तहसील के लेखपालों को फैसला आने के तत्काल बाद मौखिक आदेश दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट का पांच एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के उपलब्ध कराने का आदेश है। नगर निगम क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन नजूल के पास भी मिल पाना मुश्किल है।

प्रधानमंत्री आवास योजना के 636 आवासों के लिए बमुश्किल नजूल की जमीन मिल सकी। सौ आवासों के लिए करीब ढाई एकड़ जमीन ब्रह्मकुंड गुरुद्वारा के पास मिल पाई है। स्टूडियो अपार्टमेंट के लिए दो दो वर्ष से अयोध्या-फैजाबाद विकास प्राधिकरण नजूल से जमीन खरीदने के प्रयास में है, लेकिन नहीं मिल पाई।
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार नगर निगम क्षेत्र में पांच एकड़ सरकारी जमीन मिल पाना आसान नहीं। यह तभी सभंव हो सकेगा जब नगर निगम का सीमा विस्तार हो। करीब 25 ग्राम पंचायतों को नगर निगम में शामिल किये जाने का प्रस्ताव काफी समय से विचाराधीन है। उन्हीं ग्राम पंचायतों को खतौनी-खसरा के आधार पर जल्द से जल्द लेखपालों से बताने को कहा गया है।
ऐसी सरकारी जमीन के लिए कहा गया जिसकी लोकेशन एवं सड़क ठीक हो। माझा क्षेत्र में सरकारी जमीन बहुत है, पर लोकेशन ठीक नहीं है। तहसील सूत्रों के अनुसार पांच एकड़ सरकारी जमीन अच्छी लोकेशन पर मिल पाना आसान नहीं। आसान होता तो भगवान राम की सबसे बड़ी प्रतिमा लगाने के लिए मीरापुर द्वावा मांझा में किसानों से जमीन खरीदने की प्रक्रिया न शुरू होती।
गोंडा के दुर्गागंज माझा में रामनगरी के पर्यटन विकास के लिए जमीन तलाशने के लिए शासन वहां के जिलाधिकारी को पत्र न लिखता। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए नगर निगम स्वयं जमीन की तलाशने में लगा है।
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