छत्तीसगढ़ के सुकमा में 24 अप्रैल को हुए सबसे बड़े नक्सली हमले के दौरान सीआरपीएफ के 74वीं बटालियन के करीब 55 जवान अप्रत्याशित रूप से छुट्टी पर चले गए थे. जवानों का छुट्टी लेना कोई अजूबा नहीं है, लेकिन एक साथ एक ही बटालियन के इतने जवानों का छुट्टी पर जाना हैरान करता है. इस हमले में 25 जवान शहीद हो गए थे.

इस हमले की शुरूआती जांच में पुलिस बल की लापरवाही सामने आई थी. इसी वजह से 24 मई को सीआरपीएफ के कमांडर जे. विश्वनाथ को असफल नेतृत्व के चलते सस्पेंड कर दिया गया था. वह सुकमा नक्सली हमले के दौरान टीम का नेतृत्व कर रहे थे. वहीं, 74वीं बटालियन के कमांडिंग अफसर फिरोज कुजुर को छत्तीसगढ़ से बाहर कर दिया गया.
सुकमा हमले में शहीद हुए सभी 25 जवान सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन डेल्टा कंपनी के थे. उन्हें बुरकापाल और चिंतागुफा के बीच तैनात किया गया था. सीआरपीएफ ने बस्तर में पोस्टेड छह कमांडेंट और एक डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल का भी तबादला कर दिया. उनकी जगह पर सीआरपीएफ के बेहतर अफसरों की तैनाती की गई है, जो मोर्चा संभाल सकें.
कब-कैसे हुआ नक्सल हमला
सीआरपीएफ के डेल्टा कंपनी के जवान 24 अप्रैल की सुबह 8.30 बजे गश्त पर निकले थे. वे अपने कैंप दुर्गपाल से रोड ओपनिंग पार्टी के तौर पर निकले थे. दुर्गपाल से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर चिंतागुफा के पास दो हिस्सों बंट गए. जवानों की संख्या 99 थी. दोनों दस्ते करीब 500 मीटर ही आगे बढ़े थे कि उन पर 300 नक्सलियों ने हमला कर दिया.
300 नक्सलियों का हमला
सीआरपीएफ के एक घायल सिपाही शेर मोहम्मद ने बताया कि हमलावर करीब 300 की संख्या में थे. वहीं, सीआरपीएफ के करीब 90 जवान थे. शेर ने बताया, ‘मैंने 3-4 नक्सिलयों के सीने में गोली मारी. पहले उन्होंने ग्रामीणों को भेजकर हमारी लोकेशन देखी. फिर नक्सलियों ने हम पर अटैक किया. हमने भी जवाबी हमला किया और नक्सलियों को मार गिराया.’
कब और कहां हुए हमले
11 मार्च 2017: सुकमा के दुर्गम भेज्जी इलाके में नक्सली हमला, 11 सीआरपीएफ जवान शहीद.
11 मार्च 2014: टाहकवाड़ा में सीआरपीएफ पर नक्सली हमला, 16 जवान शहीद.
सितम्बर 2005: बीजापुर स्थित गंगालूर रोड पर एंटी-लैंडमाइन वाहन पर ब्लास्ट, 23 जवान शहीद.
जुलाई 2007: छत्तीसगढ़ के एर्राबोर अंतर्गत उरपलमेटा एम्बुश में 23 सुरक्षाकर्मी मारे गए.
अगस्त 2007: छत्तीसगढ़ के तारमेटला में मुठभेड़ में थानेदार सहित 12 जवान शहीद हुए.
12 जुलाई 2009: राजनांदगांव के एम्बुश नक्सलियों के हमले में 29 जवान हुए थे शहीद.
6 अप्रैल 2010: दंतेवाड़ा ताड़मेटला में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए.
1 दिसंबर 2014: सुकमा में सीआरपीएफ की 233 बटालियन पर हमला, 13 जवानों शहीद.