1. सवाल- 2014 के बाद देश के कितने जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए, पाकिस्तान ने कितनी बार सीजफायर तोड़ा और भारतीय सुरक्षा बलों ने कितने आतंकी मार गिराए? (घनश्याम राजोरा, नीमच, मध्य प्रदेश) जवाब- जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से आतंकी हमलों की 1150 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. राज्य में आतंकी हमले की 2014 में 222 और 2015 में 208 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 322 और 2107 में 342 पर पहुंच गई. इन आतंकी हमलों में 2014 से अब तक भारतीय सुरक्षा बलों से तीन सौ से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं. जबकि इस दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने कार्रवाई करते हुए 658 आतंकियों को मार गिराया. 2014 से अब तक पाकिस्तान 3400 से ज्यादा बार सीजफायर तोड़ चुका है. 2018 में ऐसी घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. इस साल 23 मई तक ही सीजफायर तोड़ने की 1088 घटनाएं हो चुकी थीं. सीजफायर तोड़कर हुए पाकिस्तानी हमलों में 2014 से अब तक देश के 67 जवान शहीद हो चुके हैं. 2. सवाल- क्या भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब नहीं दे सकता? भारतीय फौज ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए क्या कार्रवाई की है? (आमिर, मुंबई; रेहान आलम, सऊदी अरब) जवाब- भारतीय सेना ने पाकिस्तान की हरकतों का हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. जुलाई 2016 में सेना ने हिजबुल मुजाहिदीन के खूंखार आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराया. इसके बाद 29 सितम्बर 2016 को भारत ने अपने जवानों पर हुए हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की. 2017 में सेना ने श्रीनगर में आतंकियों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट चलाया, जिसमें 213 आतंकी मारे गए. इसी साल सेना की कार्रवाई के दौरान अबु दुजाना, बशीर लश्करी, जुनैद मट्टू, यासीन इट्टू उर्फ गजनवी और सबजार भट्ट जैसे 5 मोस्टवांटेड आतंकी मारे जा चुके हैं. 3. सवाल- भारत सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को मिलने वाली टेरर फंडिंग बंद कराने के लिए क्या कोशिशें की हैं? (अतुल भदौरिया, एटा, यूपी; शुभम मुकेश गिरी, मुंबई) जवाब- भारत सरकार पाकिस्तान में टेरर फंडिंग पर रोक लगाने का मुद्दा तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है. सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन में हुए ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया. भारत के इस रुख की वजह से ही शिखर सम्मेलन में पहली बार ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ कड़ा प्रस्ताव पारित किया. इतना ही नहीं, सम्मेलन के घोषणापत्र में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का नाम लेकर उनकी आतंकी गतिविधियों और फंडिंग पर रोक लगाने की बात भी कही गई. खास बात ये है कि पाकिस्तान से अपने करीबी रिश्तों के बावजूद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मेजबान चीन को भी इस घोषणापत्र का समर्थन करना पड़ा. भारत की पहल पर ही इस घोषणापत्र में ये बात भी शामिल की गई कि आतंकवादी संगठनों को वित्तीय मदद समेत किसी भी तरह की सहायता देने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. भारत की लगातार मुहिम और दबाव का ही नतीजा रहा कि जनवरी 2018 में अमेरिका ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान की फंडिंग रोक दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब 2 अरब डॉलर यानी 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय सहायता बंद करने का एलान ये कहते हुए किया कि पाकिस्तान आतंकवादियों का स्वर्ग बना हुआ है. 4. सवाल- पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों के खिलाफ भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या कदम उठाए हैं? (विपिन, मधेपुरा, बिहार; समीर रंजन स्वैन, एरासमा, ओडिशा) जवाब- उरी में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले के बाद भारत सरकार ने नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होने वाले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के शिखर सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला किया. इसके बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और श्रीलंका ने भी भारत का साथ देते हुए इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया. ऐसे में आठ देशों के इस ब्लॉक में भारत समेत पांच देश पाकिस्तान के ख़िलाफ एकजुट हो गए. लिहाजा, पाकिस्तान में होने वाला ये सार्क शिखर सम्मेलन रद्द करना पड़ा. ये पाकिस्तान के खिलाफ भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत थी. सितंबर 2016 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर घेरा. भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने किसी जमाने में शिक्षा के प्रमुख केंद्र रहे तक्षशिला को आतंकवादियों का प्रशिक्षण केंद्र बना डाला है. जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक चेहरे को उजागर करने की भारत की लगातार कोशिशों के चलते संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है.

सीमा पर बार-बार सीजफायर तोड़ने और भारत में आतंकी हमले करवाने वाले पाकिस्तान की हरकतों पर दर्शकों के सवालों के जवाब

1. सवाल- 2014 के बाद देश के कितने जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए, पाकिस्तान ने कितनी बार सीजफायर तोड़ा और भारतीय सुरक्षा बलों ने कितने आतंकी मार गिराए? (घनश्याम राजोरा, नीमच, मध्य प्रदेश)1. सवाल- 2014 के बाद देश के कितने जवान आतंकी हमलों में शहीद हुए, पाकिस्तान ने कितनी बार सीजफायर तोड़ा और भारतीय सुरक्षा बलों ने कितने आतंकी मार गिराए? (घनश्याम राजोरा, नीमच, मध्य प्रदेश) जवाब- जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से आतंकी हमलों की 1150 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. राज्य में आतंकी हमले की 2014 में 222 और 2015 में 208 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 322 और 2107 में 342 पर पहुंच गई. इन आतंकी हमलों में 2014 से अब तक भारतीय सुरक्षा बलों से तीन सौ से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं. जबकि इस दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने कार्रवाई करते हुए 658 आतंकियों को मार गिराया. 2014 से अब तक पाकिस्तान 3400 से ज्यादा बार सीजफायर तोड़ चुका है. 2018 में ऐसी घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. इस साल 23 मई तक ही सीजफायर तोड़ने की 1088 घटनाएं हो चुकी थीं. सीजफायर तोड़कर हुए पाकिस्तानी हमलों में 2014 से अब तक देश के 67 जवान शहीद हो चुके हैं. 2. सवाल- क्या भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब नहीं दे सकता? भारतीय फौज ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए क्या कार्रवाई की है? (आमिर, मुंबई; रेहान आलम, सऊदी अरब) जवाब- भारतीय सेना ने पाकिस्तान की हरकतों का हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. जुलाई 2016 में सेना ने हिजबुल मुजाहिदीन के खूंखार आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराया. इसके बाद 29 सितम्बर 2016 को भारत ने अपने जवानों पर हुए हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की. 2017 में सेना ने श्रीनगर में आतंकियों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट चलाया, जिसमें 213 आतंकी मारे गए. इसी साल सेना की कार्रवाई के दौरान अबु दुजाना, बशीर लश्करी, जुनैद मट्टू, यासीन इट्टू उर्फ गजनवी और सबजार भट्ट जैसे 5 मोस्टवांटेड आतंकी मारे जा चुके हैं. 3. सवाल- भारत सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को मिलने वाली टेरर फंडिंग बंद कराने के लिए क्या कोशिशें की हैं? (अतुल भदौरिया, एटा, यूपी; शुभम मुकेश गिरी, मुंबई) जवाब- भारत सरकार पाकिस्तान में टेरर फंडिंग पर रोक लगाने का मुद्दा तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है. सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन में हुए ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया. भारत के इस रुख की वजह से ही शिखर सम्मेलन में पहली बार ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ कड़ा प्रस्ताव पारित किया. इतना ही नहीं, सम्मेलन के घोषणापत्र में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का नाम लेकर उनकी आतंकी गतिविधियों और फंडिंग पर रोक लगाने की बात भी कही गई. खास बात ये है कि पाकिस्तान से अपने करीबी रिश्तों के बावजूद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मेजबान चीन को भी इस घोषणापत्र का समर्थन करना पड़ा. भारत की पहल पर ही इस घोषणापत्र में ये बात भी शामिल की गई कि आतंकवादी संगठनों को वित्तीय मदद समेत किसी भी तरह की सहायता देने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए. भारत की लगातार मुहिम और दबाव का ही नतीजा रहा कि जनवरी 2018 में अमेरिका ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान की फंडिंग रोक दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब 2 अरब डॉलर यानी 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय सहायता बंद करने का एलान ये कहते हुए किया कि पाकिस्तान आतंकवादियों का स्वर्ग बना हुआ है. 4. सवाल- पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों के खिलाफ भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या कदम उठाए हैं? (विपिन, मधेपुरा, बिहार; समीर रंजन स्वैन, एरासमा, ओडिशा) जवाब- उरी में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले के बाद भारत सरकार ने नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होने वाले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के शिखर सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला किया. इसके बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और श्रीलंका ने भी भारत का साथ देते हुए इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया. ऐसे में आठ देशों के इस ब्लॉक में भारत समेत पांच देश पाकिस्तान के ख़िलाफ एकजुट हो गए. लिहाजा, पाकिस्तान में होने वाला ये सार्क शिखर सम्मेलन रद्द करना पड़ा. ये पाकिस्तान के खिलाफ भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत थी. सितंबर 2016 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर घेरा. भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने किसी जमाने में शिक्षा के प्रमुख केंद्र रहे तक्षशिला को आतंकवादियों का प्रशिक्षण केंद्र बना डाला है. जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक चेहरे को उजागर करने की भारत की लगातार कोशिशों के चलते संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है.

 

जवाब- जम्मू-कश्मीर में 2014 के बाद से आतंकी हमलों की 1150 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. राज्य में आतंकी हमले की 2014 में 222 और 2015 में 208 घटनाएं हुई थीं, जबकि 2016 में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़कर 322 और 2107 में 342 पर पहुंच गई. इन आतंकी हमलों में 2014 से अब तक भारतीय सुरक्षा बलों से तीन सौ से ज्यादा जवान शहीद हो चुके हैं. जबकि इस दौरान भारतीय सुरक्षा बलों ने कार्रवाई करते हुए 658 आतंकियों को मार गिराया. 2014 से अब तक पाकिस्तान 3400 से ज्यादा बार सीजफायर तोड़ चुका है. 2018 में ऐसी घटनाएं बहुत तेजी से बढ़ी हैं. इस साल 23 मई तक ही सीजफायर तोड़ने की 1088 घटनाएं हो चुकी थीं. सीजफायर तोड़कर हुए पाकिस्तानी हमलों में 2014 से अब तक देश के 67 जवान शहीद हो चुके हैं.

 

2. सवाल- क्या भारत पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब नहीं दे सकता? भारतीय फौज ने पाकिस्तान को जवाब देने के लिए क्या कार्रवाई की है?

 

(आमिर, मुंबई; रेहान आलम, सऊदी अरब)

 

जवाब- भारतीय सेना ने पाकिस्तान की हरकतों का हमेशा मुंहतोड़ जवाब दिया है. जुलाई 2016 में सेना ने हिजबुल मुजाहिदीन के खूंखार आतंकवादी बुरहान वानी को मार गिराया. इसके बाद 29 सितम्बर 2016 को भारत ने अपने जवानों पर हुए हमले का बदला लेने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की. 2017 में सेना ने श्रीनगर में आतंकियों का सफाया करने के लिए ऑपरेशन ऑलआउट चलाया, जिसमें 213 आतंकी मारे गए. इसी साल सेना की कार्रवाई के दौरान अबु दुजाना, बशीर लश्करी, जुनैद मट्टू, यासीन इट्टू उर्फ गजनवी और सबजार भट्ट जैसे 5 मोस्टवांटेड आतंकी मारे जा चुके हैं.

 

3. सवाल- भारत सरकार ने पाकिस्तानी आतंकवादियों को मिलने वाली टेरर फंडिंग बंद कराने के लिए क्या कोशिशें की हैं?

 

(अतुल भदौरिया, एटा, यूपी; शुभम मुकेश गिरी, मुंबई)

 

जवाब- भारत सरकार पाकिस्तान में टेरर फंडिंग पर रोक लगाने का मुद्दा तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाता रहा है. सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने चीन में हुए ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) के शिखर सम्मेलन में भी इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया. भारत के इस रुख की वजह से ही शिखर सम्मेलन में पहली बार ब्रिक्स देशों ने आतंकवाद और टेरर फंडिंग के खिलाफ कड़ा प्रस्ताव पारित किया. इतना ही नहीं, सम्मेलन के घोषणापत्र में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का नाम लेकर उनकी आतंकी गतिविधियों और फंडिंग पर रोक लगाने की बात भी कही गई. खास बात ये है कि पाकिस्तान से अपने करीबी रिश्तों के बावजूद ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मेजबान चीन को भी इस घोषणापत्र का समर्थन करना पड़ा. भारत की पहल पर ही इस घोषणापत्र में ये बात भी शामिल की गई कि आतंकवादी संगठनों को वित्तीय मदद समेत किसी भी तरह की सहायता देने वालों की जवाबदेही तय होनी चाहिए.

 

भारत की लगातार मुहिम और दबाव का ही नतीजा रहा कि जनवरी 2018 में अमेरिका ने आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए पाकिस्तान की फंडिंग रोक दी. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करीब 2 अरब डॉलर यानी 13 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय सहायता बंद करने का एलान ये कहते हुए किया कि पाकिस्तान आतंकवादियों का स्वर्ग बना हुआ है.

 

4. सवाल- पाकिस्तान की आतंकवाद समर्थक नीतियों के खिलाफ भारत सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्या कदम उठाए हैं?

 

(विपिन, मधेपुरा, बिहार; समीर रंजन स्वैन, एरासमा, ओडिशा)

 

जवाब- उरी में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले के बाद भारत सरकार ने नवंबर 2016 में इस्लामाबाद में होने वाले दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) के शिखर सम्मेलन में नहीं जाने का फैसला किया. इसके बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान, भूटान और श्रीलंका ने भी भारत का साथ देते हुए इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया. ऐसे में आठ देशों के इस ब्लॉक में भारत समेत पांच देश पाकिस्तान के ख़िलाफ एकजुट हो गए. लिहाजा, पाकिस्तान में होने वाला ये सार्क शिखर सम्मेलन रद्द करना पड़ा. ये पाकिस्तान के खिलाफ भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत थी. सितंबर 2016 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर घेरा. भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने किसी जमाने में शिक्षा के प्रमुख केंद्र रहे तक्षशिला को आतंकवादियों का प्रशिक्षण केंद्र बना डाला है. जिसका खामियाजा पूरी दुनिया को भुगतना पड़ रहा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक चेहरे को उजागर करने की भारत की लगातार कोशिशों के चलते संयुक्त राष्ट्र समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ गया है.

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