नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अधिकारियों को नोएडा प्राधिकरण के उन अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जो सुपरटेक की दो जुड़वा अवैध टावरों के निर्माण में कथित अनियमितताओं के आरोपी हैं।

यह कार्रवाई नोएडा के सेक्टर 93ए में बनाए जा रहे 40 मंजिला जुड़वा टावरों को गिराने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के एक दिन बाद आई है। अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को भी फटकार लगाई, जिसमें सुपरटेक के साथ अपने अधिकारियों की मिलीभगत और ट्विन टावरों के निर्माण में रियल्टी प्रमुख द्वारा मानदंडों के उल्लंघन की कई घटनाओं की ओर इशारा किया।
अदालत ने सुपरटेक और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों पर उत्तर प्रदेश शहरी विकास अधिनियम के तहत कानूनों का उल्लंघन करने के लिए मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।
न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने आदेश में कहा, “मामले ने कानून के प्रावधानों के विकासकर्ता द्वारा उल्लंघन में योजना प्राधिकरण की नापाक मिलीभगत का खुलासा किया है।”
कोर्ट ने सुपरटेक को अपने खर्च पर विध्वंस करने और नोएडा प्राधिकरण व केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान जैसे विशेषज्ञ निकाय की देखरेख में इसे तीन महीने के भीतर गिराने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि एमराल्ड कोर्ट के एपेक्स और सियेन टावरों में घर खरीदारों की पूरी राशि बुकिंग के समय से 12 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्विन टावरों के निर्माण के कारण हुए उत्पीड़न के लिए रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को 2 करोड़ का भुगतान किया जाना चाहिए, जिससे आवास परियोजना के मौजूदा निवासियों के लिए धूप और ताजी हवा रूक जाती।
सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा ने बताया कि डेवलपर एक समीक्षा याचिका दायर करेगा, जिसमें दो टावरों को ध्वस्त करने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की जाएगी।
सुपरटेक के अनुसार, शुरू में फ्लैट बुक करने वाले 633 लोगों में से 133 अन्य परियोजनाओं में चले गए हैं, 248 ने रिफंड ले लिया है और 252 घर खरीदारों ने अभी भी परियोजना में कंपनी के साथ बुकिंग की है।
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