नई दिल्ली: बिहार की राजधानी में इन दिनों सिख संप्रद्राय के दसवें गुरु गोविंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव में भाग लेने के लिए देश-विदेश के आने वाले श्रद्धालुओं का सिलसिला जारी है। सिख इतिहास में पटना साहिब का खास महत्व है।
सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म यहीं 22 दिसंबर, 1666 को हुआ था। सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में दूसरा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब है।
सिखों के आखिरी गुरु का न केवल यहां जन्म हुआ था, बल्कि उनका बचपन भी यहीं गुजरा था। यही नहीं सिखों के तीन गुरुओं के चरण इस धरती पर पड़े हैं। इस कारण देश व दुनिया के सिख संप्रदाय के लिए पटना साहिब आस्था का केंद्र रहा है। हरिमंदिर साहिब गुरु गोविंद सिंह की याद में बनाया गया है, जहां उनके कई स्मृति चिह्न आज भी श्रद्धालुओं के आस्था से जुड़े हैं।
भारत में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे की तरह, श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब का निर्माण भी महाराजा रणजीत सिंह द्वारा करवाया गया है।
जत्थेदार ज्ञानी इकबाल सिंह बताते हैं कि हरिमंदिर साहिब पटना सिटी में चौक के पास झाउगंज मुहल्ले में स्थित है। कभी ये इलाका कूचा फरूख खान के नाम से जाना जाता था। अब इसे हरमंदिर गली के रूप में जाना जाता है। इसके आसपास तंग गलियों में व्यस्त बाजार है।
जिस समय गुरु महाराज का जन्म वर्तमान के तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में हुआ था, उस समय पिता व नवम गुरु तेग बहादुर जी गुरु मिशन की प्रचार के लिए धुबड़ी असम की यात्रा पर गए थे।
नवम गुरु की पत्नी माता गुजरी गर्भवती थीं। ऐसे में जब गुरु महाराज गायघाट स्थित बड़ी संगत गुरुद्वारा पहुंचे, तो वहां से मुंगेर रवाना होने से पहले गुरु महाराज ने परिवार वालों को अच्छी हवेली में रखने का आदेश और संगत को आशीर्वाद दे प्रस्थान कर गए।
सिंह बताते हैं, “जहां गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ, वहां सलिसराय जौहरी का आवास होता था, जो सिख पंथ के संस्थापक गुरु नानक देव जी महाराज का भक्त था। श्री गुरु नानक देव जी भी यहां आए थे। जब गुरु साहिब यहां पहुंचे तो जो डेउहरी लांघ कर अंदर आए वो अब तक मौजूद है।”
बाल गोविंद राय (गुरु गोविंद सिंह के बचपन का नाम) यहां छह साल की आयु तक रहे। बहुत संगत बाल गोविंद राय के दर्शनों के लिए यहां आती थी। माता गुजरी जी का कुआं आज भी यहां मौजूद है।
धर्म प्रचार समिति के चेयरमैन महेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं, “श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज ने अपनी रचना ‘दशमग्रंथ’ में लिखा है, ‘तही प्रकाश हमारा भयो, पटना शहर बिखै भव लयो’।”
पटना हरिमंदिर साहिब में आज भी गुरु गोविंद सिंह की वह छोटी पाण है, जो बचपन में वे धारण करते थे। इसके अलावे आने वाले श्रद्धालु उस लोहे की छोटी चकरी को, जिसे गुरु बचपन में अपने केशों में धारण करते थे तथा छोटा बघनख खंजर, जो कमर-कसा में धारण करते थे, को देखना नहीं भूलते।
गुरु तेग बहादुर जी महाराज जिस संदल लकड़ी के खड़ाऊं पहना करते थे, उसे भी यहां रखा गया है, जो श्रद्धालुओं की श्रद्धा से जुड़ा है।