वाराणसी. साहित्यकार मनु शर्मा का बुधवार की सुबह वाराणसी स्थित उनके घर पर निधन हो गया। पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित मनु शर्मा पीएम मोदी के नवरत्नों में भी शामिल थे। परिवार के लोगों का शहर के बाहर होने की वजह से मनु शर्मा का अंतिम संस्कार गुरुवार को मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा। भतीजे तुषार शर्मा ने उनसे जुड़ी बातों को शेयर किया। तुषार ने बताया कि मनु का असली नाम हनुमान प्रसाद शर्मा था। उनकी मशहूर लेखनी ‘गांधी लौटे’ और ‘कृष्ण की आत्मकथा’ है। 8 खंडों और 3000 पेज वाली ‘कृष्ण की आत्मकथा’ एक बेहतरीन कृति है।
कई दिनों से बीमार थे मनु शर्मा
– मनु शर्मा का जन्म 1928 में फैजाबाद जिले में हुआ था। वह काफी दिनों से बीमार चल रहे थे।
– पिछले महीने शरद पूर्णिमा के दिन उन्होंने 90वां जन्मदिन अस्पताल में मनाया था।
– हालात में सुधार होने पर दो दिन बाद घर लाया गया था। इसके बाद से उन्होंने खाना छोड़ दिया था।
– भतीजे तुषार शर्मा ने बताया कि सुबह अचानक तबीयत बिगड़ी। जब तक अस्पताल ले जाते, उन्होंने अपनी अंतिम सांस ले ली।
डीएवी कॉलेज में की लाइब्रेरियन की नौकरी
– बेहद अभावों में पले-बढ़े मनु शर्मा ने कभी बनारस के डीएवी कॉलेज में लाइब्रेरियन की नौकरी की।
– उनके गुरु रहे कृष्णदेव प्रसाद गौड़ उर्फ ‘बेढ़ब बनारसी’ ने उनकी लेखनी को देखते थे और उन्होंने ही यहां हिंदी का टीचर अप्वाइंट करवाया।
– लाइब्रेरी में बुक उठाते-उठाते उनमें पढ़ने की ऐसी रुचि जगी कि उन्होंने अपनी कलम से पौराणिक उपन्यासों को आधुनिक संदर्भ दिया। पांच सालो में कई बार वो हॉस्पिटल गए, बेड पर भी वो कुछ लिखते रहते थे।
– मनु शर्मा ने बनारस से निकलने वाले ‘जनवार्ता’ में प्रतिदिन एक लेख तात्कालिक परिवेश पर लिखते थे। यह इतनी मारक होती थी कि आपातकाल के दौरान इस पर बैन लगा दिया गया था।