बेंगुलुरु में कोई रेस्तरां खोलना आसान काम नहीं है। यहां रेस्तरां खोलने के लिए कागजी कार्यवाही पूरी करनी पड़ती हैं, की इंतजाम करने पड़ते हैं। सबसे पहले लेबर विभाग से दुकान या स्टॉल का लाइसेंस लेना पड़ता है और उसके बाद जरूरत पड़ती है बीबीएमपी के ट्रेड लाइसेंस की। इसके बाद फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी(FSSAI) से लाइसेंस लेना पड़ता है। मामला यहीं नहीं रुक जाता, भ्रष्ट पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को लगातार रिश्वत देनी पड़ती है। लेकिन ऐसा लगता है अगर सरकार आपकी है तो आपको इन प्रक्रियाओँ से गुजरने की कोई जरूरत नहीं।
हैरानी की बात है कि पिछले हफ्ते कांग्रेस ने 101 इंदिरा कैन्टीनें खोलीं , लेकिन ये कैन्टीनें बिना FSSAI लाइसेंस के चल रही हैं। इससे से भी ज्यादा हैरानी इस बात से होती है कि इन कैन्टीनो को चलाने वाले और कई शीर्ष अधिकारियों को इस बारे में कोई जानकारी भी नहीं है। वे नहीं जानते कि कैन्टीन चलाने के लिए लाइसेंस की जरूरत पड़ती है।
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कर्नाटक के फूड सेफ्टी कमिश्नर मनोज कुमार मीणा से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘फूड सेफ्टी व स्टैंडर्ड्स के मानकों के तहत इंदिरा कैन्टीनों का रजिस्ट्रेशन भी किया जाना चाहिए।’ सवाल यह है कि पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ऐसा किया जाएगा, लेकिन पहले इस बात का ध्यान क्यों नहीं रखा गया। बीबीएमपी में एग्जेक्यूटिव इंजिनियर नंदीश जेआर ने इसके पीछे एक ‘लॉजिक’ दिया। उन्होंने कहा, सरकार को इस तरह के आउटलेट्स खोलने के लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं।
नंदीश इंदिरा कैन्टीनों के नोडल इन्चार्ज हैं। उन्होंने कहा, ‘प्राइवेट कैन्टीनों को लाइसेंस और रजिस्ट्रेशन की जरूरत होती है। सरकार उन्हें सर्टिफिकेट जारी कर सुनिश्चित करती है कि जनता को जो खाना परोसा जा रहा है वह सुरक्षित है। इंदिरा कैन्टीन सरकार का प्रॉजेक्ट है, इसलिए इसके खाने में किसी समस्या का सवाल नहीं।’ वहीं, फूड सेफ्टी ऐक्ट का सेक्स 31(1) कहता है, किसी को भी FSSAI के लाइसेंस के बिना फूड बिजनस करने की इजाजत नहीं है।